लातेहार: भैया दूज का त्योहार आज जिला मुख्यालय समेत जिले के अन्य प्रखंडों और ग्रामीण इलाकों में धूमधाम से मनाया गया.
इसके साथ ही पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का समापन हो गया. इस त्यौहार को भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिंदू धर्म का त्यौहार है। आप यह खबर झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह दिवाली के दो दिन बाद आने वाला त्यौहार है, जो भाई के प्रति बहन के प्यार को व्यक्त करता है और बहनें अपने भाई की सलामती की कामना करती हैं।
आज भी बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। बहनों ने भाइयों को तिलक लगाया तो भाइयों ने बहनों को उपहार आदि देकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। भाइयों ने बहनों के घर जाकर तिलक कराया। भाई दूज के मौके पर बाजारों में खूब रौनक रही. मिठाई व फल की दुकान पर काफी भीड़ देखी गयी.
पंडित दिलीप शुक्ला ने भ्रातृ द्वितीया की कथा का जिक्र करते हुए बताया कि पहले समय में कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना ने यमराज को अपने घर पर आतिथ्यपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकीय जीव यातनाओं से मुक्त हो गये और तृप्त हो गये। वे पाप से मुक्त हो गये और सभी बंधनों से छुटकारा पा गये और सभी अपनी इच्छानुसार संतुष्ट होकर रहने लगे।
उन्होंने मिलकर एक महान उत्सव मनाया, जिससे यमलोक के राज्य में खुशियाँ आईं। इसीलिए यह तिथि यम द्वितीया के नाम से तीनों लोकों में प्रसिद्ध हुई।
ऐसा माना जाता है कि जिस तिथि को यमुना ने अपने घर में यम को भोजन कराया था, उस दिन जो भाई अपनी बहन के हाथ से उत्तम भोजन खाता है, उसे उत्तम भोजन के साथ-साथ धन की भी प्राप्ति होती रहती है।