31.6 C
Aligarh
Saturday, October 25, 2025
31.6 C
Aligarh

बीरूगढ़ का सूर्य मंदिर बताता है अतीत की कहानी, सिमडेगा में सातवीं शताब्दी से हो रही है सूर्य पूजा


आशीष शास्त्री/न्यूज़11भारत

सिमडेगा/डेस्क: कहते हैं इतिहास मनुष्य के जीवन का दर्पण होता है। इसकी मदद से व्यक्ति अपने अतीत से रूबरू होता है और अपने वर्तमान की सच्चाई को समझ पाता है। ऐतिहासिक धरोहरों से हमें इतिहास की गवाही मिलती है। हमारे सिमडेगा में कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं जो आज भी अपने काल की कहानियां सुनाती हैं. आज इस कड़ी में हम बात करेंगे बीरूगढ़ के सूर्य मंदिर के बारे में जो अपने अतीत को समेटे हुए आज भी अपनी कहानी बयां कर रहा है।

जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर सिमडेगा रांची रोड पर एनएच 143 से महज 01 किलोमीटर दूर बूढ़ा तालाब के पास पुराने पत्थरों से बनी मंदिर जैसी संरचना है और कुछ नहीं बल्कि सूर्य मंदिर है. यहां स्थापित भगवान सूर्य की प्रतिमा एक बड़े पत्थर को तराश कर बनाई गई है। इस मंदिर के बारे में एक किंवदंती है कि इस मंदिर का निर्माण देव शिल्पी विश्वकर्मा ने एक ही रात में किया था। जब आप यहां मंदिर की संरचना देखेंगे तो आपको भी एहसास होगा कि ऐसा मंदिर कोई सामान्य इंसान नहीं बना सकता। एक के ऊपर एक रखे गए पत्थरों की दीवार पर बड़ा पत्थर रखकर बांध बनाना किसी भी इंसान के लिए संभव नहीं लगता। एक ही चट्टान को तराश कर बनाए गए इस प्राचीन मंदिर में सात घोड़ों के रथ पर सवार भगवान सूर्य की प्रतिमा, उनके साथ सारथी अरुणा और संध्या तथा छाया अपने आप में कला का एक अनूठा उदाहरण है।

कुछ साल पहले तक यह मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था और अतीत की कहानियों के साथ-साथ गुमनामी का दंश झेल रहा था। वर्ष 2015 में सामाजिक संस्था सार्वभौम शाकद्वीपीय ब्राह्मण महासभा सिमडेगा के सदस्यों को इस मंदिर के बारे में जानकारी मिली. तभी लोगों की नजर इस मंदिर पर पड़ी जो बहुत ही दयनीय स्थिति में था। इसके बाद महासभा के लोगों ने बीरूवासियों और बीरू राजपरिवार के दुर्ग विजय सिंह देव के सहयोग से उस स्थान की साफ-सफाई करायी और पूजा शुरू की गयी. उस समय इस मंदिर में कोई दरवाजा न होने के कारण जानवर इसके अंदर प्रवेश कर जाते थे। फिर वर्ष 2017 में, मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और ऐतिहासिक संरचना को परेशान किए बिना ब्राह्मण महासभा द्वारा एक गेट लगाया गया।

इस मंदिर का आकार और संरचना झारखंड के प्रसिद्ध देवड़ी और हाराडीह मंदिरों से काफी मिलती-जुलती है। देवड़ी और हाराडीह मंदिर लगभग सातवीं शताब्दी के हैं। संभवतः यह सूर्य मंदिर भी उसी काल का प्रतीत होता है।

यदि इस ऐतिहासिक धरोहर को जिले के अन्य पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल कर दिया जाए तो इसका स्वरूप भी निखर जाएगा और आने वाले समय में यह एक बेहतर पर्यटन स्थल के रूप में लोगों को अपने जमाने से परिचित कराएगा।

यह भी पढ़ें: धनबाद: 8 लेन सड़क पर दो अलग-अलग घटनाओं में एक की मौत, दो घायल, स्थानीय लोगों में आक्रोश

FOLLOW US

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
spot_img

Related Stories

आपका शहर
Youtube
Home
News Reel
App