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रांची/डेस्क: झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच के सिलसिले में गुरुवार को जमशेदपुर के उपायुक्त करण सत्यार्थी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए। अधिकारियों के मुताबिक, सत्यार्थी ने एसीबी को सूचित किया कि वह तीन दिनों की छुट्टी पर हैं, जिसके कारण वह निर्धारित पूछताछ में शामिल नहीं हो पाएंगे.
एसीबी ने मंगलवार को उन्हें नोटिस जारी कर गुरुवार को पेश होने का निर्देश दिया था. अब एजेंसी ने सत्यार्थी को आगामी सोमवार को दोबारा पूछताछ में शामिल होने के लिए बुलाया है. शराब घोटाले के वक्त सत्यार्थी राज्य के उत्पाद शुल्क आयुक्त थे, इसलिए उनसे विस्तार से पूछताछ होनी है.
इससे पहले एसीबी ने इस मामले में आईएएस अधिकारी मुकेश कुमार, मनोज कुमार और रामगढ़ डीसी फैज अक अहमद से पूछताछ की थी. झारखंड के इस बड़े वित्तीय घोटाले में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन सचिव विनय चौबे समेत 13 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गयी है. इस मामले में पहली गिरफ्तारी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे की हुई थी.
एसीबी की एफआईआर में आरोप है कि दो प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा जमा की गई फर्जी बैंक गारंटी की जांच भी नहीं की गई, जिसके परिणामस्वरूप 38.44 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ. संबंधित बैंक प्रबंधक ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रस्तुत बैंक गारंटी न तो बैंक द्वारा जारी की गई थी और न ही उस पर प्रयुक्त लेटरहेड और हस्ताक्षर बैंक के थे। इसके बावजूद संबंधित एजेंसियों के खिलाफ तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
जांच में यह भी पता चला है कि नियमानुसार वसूली नहीं होने के कारण मेसर्स विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड पर मार्च 2025 तक 12.98 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी और मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड पर मार्च 2025 तक 25.46 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी लंबित है.
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