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Sunday, October 26, 2025
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धनबाद समाचार: एसएनएमएमसीएच: पहली बार शुरू होगा पीएमआर विभाग


स्ट्रोक व दुर्घटना पीड़ितों के इलाज में सुविधा होगी. मुख्यालय स्तर पर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की गयी है.

मेडिकल छात्रों को शोध और व्यावहारिक प्रशिक्षण का भी अवसर मिलेगा

धनबाद.

शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में अब मरीजों को रिहैबिलिटेशन मेडिसिन, फिजिकल मेडिसिन और रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) की सुविधा मिलेगी। स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग की पहल पर एसएनएमएमसीएच में पहली बार पीएमआर विभाग की स्थापना की जा रही है. इसके लिए विभाग ने एक असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की है. वहां स्थान का चयन किया जा रहा है. यह विभाग न सिर्फ अस्पताल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा, बल्कि धनबाद और आसपास के जिलों के मरीजों के लिए भी बड़ी राहत साबित होगा. अब उन्हें इस सुविधा के लिए रांची, कोलकाता या अन्य शहरों में नहीं जाना पड़ेगा.

पीएमआर विभाग क्या है?

फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) चिकित्सा का वह क्षेत्र है जो मरीजों को बीमारी, दुर्घटना या ऑपरेशन के बाद फिर से सामान्य जीवन जीने में मदद करता है। इसमें फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी और कृत्रिम अंगों की फिटिंग जैसी सेवाएं प्रदान की जाती हैं। जिन मरीजों को स्ट्रोक, रीढ़ की हड्डी में चोट, जोड़ों में दर्द, लकवा, सड़क दुर्घटना या सर्जरी के बाद चलने में दिक्कत होती है उनके लिए पीएमआर विभाग काफी उपयोगी साबित होता है।

विभाग में मिलेंगी ये सुविधाएं

एसएनएमएमसीएच में बनने वाला पीएमआर विभाग आधुनिक उपकरणों और प्रशिक्षित स्टाफ से लैस होगा. यहां फिजियोथेरेपी और इलेक्ट्रोथेरेपी की सुविधा उपलब्ध होगी। स्ट्रोक, लकवा, आर्थोपेडिक और न्यूरोलॉजिकल रोगियों के लिए विशेष पुनर्वास योजनाएँ तैयार की जाएंगी। कृत्रिम अंग और ऑर्थोटिक उपकरण (जैसे बेल्ट, ब्रेसिज़ आदि) प्रदान किए जाएंगे। सर्जरी के बाद और ट्रॉमा के बाद के मरीजों को शारीरिक रूप से फिट बनाने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। भाषण और व्यावसायिक चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।

मील का पत्थर साबित होगा विभाग : अधीक्षक

अस्पताल अधीक्षक डॉ. डीके गिन्दौरिया ने कहा कि पीएमआर विभाग की शुरुआत अस्पताल के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इससे न केवल मरीजों के पुनर्वास में मदद मिलेगी, बल्कि मेडिकल छात्रों को इस विषय पर अध्ययन और शोध करने का अवसर भी मिलेगा। एमबीबीएस छात्रों को अब पुनर्वास चिकित्सा के बारे में व्यावहारिक जानकारी मिल सकेगी।

अस्वीकरण: यह लोकजनता अखबार का स्वचालित समाचार फ़ीड है. इसे लोकजनता.कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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