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रांची/डेस्क: तिरुलडीह नरसंहार मामले में जेल में बंद एमसीसी उग्रवादी संगठन के श्रीराम मांझी, सुनील टुडू और नरेश लोहरा को राहत नहीं मिली है. एनआईए की विशेष अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है और तीनों की जमानत याचिका खारिज कर दी है. आरोपियों की ओर से वकील ईश्वर दयाल किशोर पेश हुए. जिन्होंने कोर्ट को बताया कि तीनों आरोपी माओवादी संगठन से नहीं हैं. ऐसा कोई चश्मदीद गवाह नहीं है जिसने पहचाना हो कि ये सभी घटनास्थल पर मौजूद थे. बरामद दिखाई गई मोटरसाइकिल इन आरोपियों की नहीं है। वहीं इन तीनों आरोपियों में से दो आरोपियों श्रीराम मांझी और नरेश लोहरा को झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है. लेकिन एनआईए द्वारा केस टेकओवर करने के कारण वह जमानत पर बाहर नहीं आ सके.
एनआईए के विशेष लोक अभियोजन ने विरोध करते हुए कहा कि आरोपी जमानत पर जेल से बाहर आये तो गवाह को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में जमानत नहीं दी जानी चाहिए. सभी उग्रवादी 2019 से जेल में हैं। नरसंहार की घटना 14 जून 2019 को हुई थी। तिरुलडीह थाना क्षेत्र के कुकरूहाट बाजार में गश्त कर रहे छह पुलिसकर्मियों की सरेआम गला काटकर और गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना को लेकर तिरुलडीह थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. मामले को लेकर एनआईए ने 17 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है, जिनमें से 04 लोग फरार हैं. फिलहाल 13 आरोपियों पर मुकदमा चल रहा है. मामले की सुनवाई गवाही के स्तर पर चल रही है. अब तक 25 गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी है.
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