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रांची/डेस्क: झारखंड हाई कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाते हुए 2016 में बर्खास्त शिक्षा पदाधिकारी फरहाना खातून को उनके पद पर बहाल करने का निर्देश दिया है. आठ साल पहले विभागीय योजनाओं में कथित गबन के आरोप के बाद फरहाना खातून को सेवा से हटा दिया गया था. फरहाना खातून ने बर्खास्तगी के फैसले को चुनौती देते हुए कानूनी लड़ाई जारी रखी. कोर्ट के आदेश के बाद उन्होंने कहा कि आज उन्हें असली न्याय मिला है. उन्होंने दावा किया कि विभाग द्वारा लगाए गए आरोप निराधार थे और उन्हें उचित प्रक्रिया के बिना दोषी ठहराया गया था।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में हुई. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले का हवाला देते हुए कहा कि विभागीय जांच में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया. कोर्ट के मुताबिक फरहाना खातून पर की गई जांच और उनकी बर्खास्तगी का आदेश नियमों के मुताबिक नहीं था. हाई कोर्ट ने विभाग को यह छूट दी है कि वह चाहे तो जांच प्रक्रिया नए सिरे से शुरू कर सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया फरहाना खातून के पद पर बहाल होने के बाद ही आगे बढ़ाई जा सकेगी. बर्खास्तगी के वक्त फरहाना खातून टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, बोकारो में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत थीं.
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