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रांची/डेस्क:- आज स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अजय कुमार सिंह की अध्यक्षता में स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (एसबीटीसी) की बैठक हुई. बैठक में झारखंड राज्य स्वास्थ्य समिति की कार्यपालक निदेशक डॉ. नेहा अरोड़ा, एनएचएम निदेशक श्री शशि प्रकाश झा, डीआईसी श्री सिद्धार्थ सान्याल, उप सचिव श्री ध्रुव प्रसाद सहित विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
इस बैठक में राज्य के सभी ब्लड बैंकों के प्रतिनिधि भी ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए.
राज्य स्थापना दिवस पर वृहद रक्तदान अभियान
बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर 12 नवंबर से 28 नवंबर तक पूरे झारखंड में राज्यव्यापी स्वैच्छिक रक्तदान अभियान चलाया जायेगा. अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि इस अभियान को बड़े पैमाने पर सफल बनाने के लिए शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जागरूकता फैलायी जाये और अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित किया जाये. उन्होंने कहा कि “रक्तदान को जन आंदोलन का रूप देना होगा। सोशल मीडिया और स्थानीय प्रचार माध्यमों का यथासंभव उपयोग करना चाहिए।”
थैलेसीमिया रोगियों की निगरानी और रक्त की गुणवत्ता पर जोर
डॉ. नेहा अरोड़ा ने कहा कि सभी अस्पतालों को अनिवार्य रूप से सभी थैलेसीमिया रोगियों का विस्तृत डेटा एक अलग रजिस्टर में रखना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि प्रत्येक ब्लड बैंक अपनी मासिक ऑडिट रिपोर्ट तैयार करे, जबकि ड्रग निदेशालय द्वारा तीन माह में एक बार ऑडिट कराया जायेगा. 
ई-रक्तकोष में जनशक्ति का पंजीकरण एवं पुनःपूर्ति
कार्यपालक निदेशक ने सभी रक्त केन्द्रों को ई-रक्तकोष रजिस्टर पर डाटा की पूर्ण प्रविष्टि सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। साथ ही मैनपावर की कमी दूर करने और ब्लड बैंक के लिए जरूरी स्टाफ की तैनाती जल्द पूरी करने पर जोर दिया गया.
सभी के सहयोग से अभियान सफल होगा
बैठक के दौरान एनएचएम निदेशक श्री शशि प्रकाश झा ने कहा कि रक्तदान शिविर में एनजीओ एवं सामाजिक संगठनों का योगदान अपेक्षित है. सामूहिक योगदान से रक्तदान कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है। उन्होंने इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया.
मानक पूरा नहीं करने वाले ब्लड बैंक बंद कर दिये जायेंगे
अपर मुख्य सचिव ने कहा, “जहां भी ब्लड बैंक में कोई कमी हो, उसे तुरंत पूरा किया जाये. जो मानक (एसओपी) पर खरे नहीं उतरेंगे, उन्हें बंद कर दिया जायेगा.” उन्होंने कहा कि एसओपी की एक प्रति सभी संबंधित संस्थानों को भेजी जाएगी और इसे ‘गैर-परक्राम्य’ बताया गया है – जिसका अर्थ है कि इसका पूरी तरह से पालन करना अनिवार्य होगा।
रक्त पृथक्करण इकाई अनिवार्य
सिंह ने स्पष्ट किया कि “राज्य में कोई भी रक्त केंद्र बिना रक्त पृथक्करण इकाई के नहीं होना चाहिए।” उन्होंने स्कूलों, कॉलेजों और गैर सरकारी संगठनों की मदद से रक्तदान अभियान को सफल बनाने का आह्वान किया।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट सुविधा को बढ़ावा मिलेगा
बैठक के दौरान सदर अस्पताल के एक डॉक्टर ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू करने की इच्छा जतायी. इस पर अपर मुख्य सचिव ने तुरंत इसकी अनुमति दे दी और कहा, ”यह सुविधा राज्य में जल्द शुरू की जाये और जितनी भी राशि की जरूरत होगी, विभाग उपलब्ध करायेगा.”
अंत में अजय कुमार सिंह ने कहा, “किसी भी परिस्थिति में सुरक्षित रक्त उपलब्ध कराना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. रक्त की कमी से किसी भी मरीज को परेशानी नहीं होनी चाहिए.”


                                    
