न्यूज11भारत
रांची/डेस्क: आजसू पार्टी ने कहा है कि एनडीए सरकार में विकास की रफ्तार बढ़ी थी, लेकिन पिछले 6 साल में हेमंत सरकार में झारखंड 25 साल पीछे चला गया है. विकास का रोडमैप गायब है. अलग राज्य के लिए आदिवासी-मूलवासियों ने मिलकर लड़ाई लड़ी थी, लेकिन झारखंड राज्य की स्थापना की रजत जयंती पर जनता में कोई उत्साह नहीं है. शहीदों के सपने अधूरे रह गये.
पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आजसू के आंदोलनकारी नेताओं मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत, केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रवीण प्रभाकर और हसन अंसारी ने झारखंड स्थापना की रजत जयंती पर राज्यवासियों को बधाई दी. आजसू के उग्र आंदोलन से झारखंड राज्य का निर्माण हुआ. झारखंड आंदोलन में आजसू ने संघर्ष किया, जबकि झामुमो ने सौदेबाजी की. इस अवसर पर मीडिया समन्वयक परवाज़ खान भी उपस्थित थे।
बुनियादी सवाल नहीं सुलझे : डॉ भगत
केंद्रीय प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने कहा कि झारखंड में आज भी स्थानीय नीति, नियोजन नीति, आरक्षण नीति, विस्थापन नीति, बेरोजगारी उन्मूलन नीति जैसे बुनियादी सवाल अनसुलझे हैं. राज्य देश के खनिज राजस्व का 40% तक प्रदान करता है, जबकि यहां के लोग बेरोजगारी, प्रवासन और गरीबी से जूझ रहे हैं।
राज्य का विकास ठप : प्रवीण प्रभाकर
केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि एनडीए शासनकाल में राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग के क्षेत्र में विकास की पहल की गयी, लेकिन वर्तमान सरकार में विकास का रोडमैप पूरी तरह से गायब हो गया है. आदिवासी अस्मिता, भाषा, संस्कृति और क्षेत्रीय अस्मिता के सवाल पर भी यह सरकार विफल रही है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर गरीबी दर 22% है, जबकि झारखंड में यह 39% है. राष्ट्रीय स्तर पर साक्षरता दर 77.7% है, जबकि झारखंड में यह सिर्फ 66.41% है. 10वीं कक्षा तक ड्रॉपआउट दर 35% है। कुपोषण दर 19.6% है और प्रति 10,000 जनसंख्या पर 9 डॉक्टरों के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले केवल 3.5 डॉक्टर हैं। सरकार द्वारा घोषित 5 लाख नौकरियों में से 1 लाख नौकरियां भी नहीं दी गईं.
आंदोलनकारियों के साथ विश्वासघात : हसन
केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों के साथ न्याय नहीं हुआ. चिन्हीकरण की प्रक्रिया अधूरी है। आंदोलनरत आयोग भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य में नौकरशाही हावी है. म्यूटेशन से लेकर हर विभाग में भ्रष्टाचार और लूट-खसोट चरम पर है. हर थाने और हर पोस्टिंग की कीमत तय है. अवैध कोयला कारोबार, रंगदारी और लूट की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जबकि सरकार चुप है. सरकार की नीतियां जनहित से ज्यादा नौकरशाहों और विधायकों के हितों की ओर झुकी हुई हैं। यह जनकल्याणकारी नहीं, नौकरशाही सरकार बन गयी है. जनता अब इस सरकार से जवाब मांग रही है.
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