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Wednesday, October 29, 2025
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जमशेदपुर समाचार: एमजीएम अस्पताल के ब्लड बैंक में पिछले तीन साल में 56 यूनिट एचआईवी संक्रमित खून मिला है.


एमजीएम ब्लड बैंक की जांच के लिए विभाग ने दो सदस्यीय टीम बनायी.

जमशेदपुर समाचार:

एमजीएम अस्पताल के ब्लड बैंक से प्राप्त रक्त परीक्षण के बाद ही मरीजों को चढ़ाया जाता है. एमजीएम ब्लड बैंक से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में ब्लड बैंक को प्राप्त रक्त में से 56 यूनिट एचआईवी, 17 यूनिट वीआरडीएल, 22 यूनिट रक्त ऐसे थे, जिनमें से किसी कारणवश आधा रक्त ही मरीज को चढ़ाया जा सका. इसके साथ ही अस्पताल में 70 यूनिट खून खत्म हो गया. जिसे नष्ट कर दिया गया. एमजीएम ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. वीबीवीके चौधरी ने बताया कि खून की जांच के बाद अगर उसकी रिपोर्ट में कोई खून संक्रमित पाया जाता है तो उसे पहले मशीन से ऑटोक्लेव किया जाता है। इसके बाद इसे भस्मक में जला दिया जाता है. उन्होंने बताया कि आटोक्लेव में भाप द्वारा स्टरलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जो दबाव, तापमान और समय पर आधारित होती है और ये सब मिलकर सूक्ष्मजीवों के जीवन के सभी लक्षणों को नष्ट कर देते हैं।

एमजीएम ब्लड बैंक की जांच के लिए विभाग ने दो सदस्यीय टीम बनायी.

चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और सरकार गंभीर है. इस संबंध में विभाग ने कोल्हान के सभी ब्लड बैंकों की जांच के लिए पूर्वी सिंहभूम जिले के लिए तीन और पश्चिमी सिंहभूम व सरायकेला के लिए दो-दो टीमों का गठन किया है. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने सभी ब्लड बैंकों को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी है कि अस्पताल के ब्लड बैंक में जांच से लेकर खून लेने तक की क्या व्यवस्था है. एमजीएम अस्पताल में चल रहे ब्लड बैंक की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम का गठन किया गया है, जिसमें ड्रग विभाग के सहायक निदेशक गौरव कुमार और एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ आरके मंधान को शामिल किया गया है.

एमजीएम एवं सदर अस्पताल में रक्त संग्रहण, जांच एवं भंडारण की सुविधा उपलब्ध है

जिले में एमजीएम और सदर अस्पताल में सरकारी स्तर पर ब्लड बैंक चलाया जाता है. इन दोनों बैंकों में रक्त संग्रह, परीक्षण और भंडारण की सुविधाएं उपलब्ध हैं। एमजीएम अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी वीबीवीके चौधरी ने बताया कि ब्लड बैंक में दो तरह से रक्त संग्रह किया जाता है. पहला अस्पताल के ब्लड बैंक में और दूसरा शिविर लगाकर किया जाता है। रक्त एकत्रित करने के बाद उसकी जांच एलाइजा मशीन और सीबी नेट मशीन से की जाती है। उन्होंने कहा कि खून की एलाइजा जांच एमजीएम में होती है, लेकिन सीबी नेट मशीन से जांच के लिए खून का नमूना रांची भेजा जाता है. अगर सुबह सैंपल जांच के लिए भेजा जाए तो उसकी रिपोर्ट शाम तक आ जाती है। रिपोर्ट आने के बाद ही ब्लड बैंक से मरीजों को खून दिया जाता है. इसके साथ ही अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन स्थापित है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा को अलग कर जरूरत के अनुसार मरीजों को उपलब्ध कराया जाता है। इसके साथ ही अस्पताल में 16 फ्रीजर हैं, जिनमें कम से कम पांच हजार यूनिट ब्लड स्टोर किया जा सकता है.

सदर अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन नहीं है.

खासमहल स्थित सदर अस्पताल में चल रहे ब्लड बैंक में अब तक ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन नहीं है. जिससे वहां मरीजों को होल ब्लड दिया जाता है, जबकि ब्लड बैंक में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन लगाने के लिए जगह का चयन कर लिया गया है, लेकिन अभी तक मशीन नहीं आयी है. सदर अस्पताल के ब्लड बैंक के नोडल पदाधिकारी डॉ. विमलेश कुमार ने बताया कि इस मशीन के लिए सिविल सर्जन द्वारा लगातार विभाग को पत्र लिखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि ब्लड कलेक्शन के लिए ब्लड बैंक में कुर्सी लगायी गयी है. जांच के लिए मशीन लगाई गई है। ब्लड बैंक में लगभग तीन हजार यूनिट ब्लड रखने के लिए फ्रीजर उपलब्ध है.

ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया की टीम ने की जांच

एमजीएम के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. वीबीवीके चौधरी ने बताया कि एमजीएम अस्पताल में चल रहे ब्लड बैंक की हर साल जांच की जाती है. इसकी जांच ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया की केंद्र और राज्य की टीमें करती हैं। उन्होंने बताया कि अभी दो माह पहले भी केंद्र व राज्य की टीम से जांच करायी गयी थी.

किसी व्यक्ति से रक्त लेने से पहले क्या प्रक्रिया होती है?

एमजीएम ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने बताया कि अस्पताल के ब्लड बैंक या कैंप में अगर किसी व्यक्ति का खून लिया जाता है तो सबसे पहले उसकी मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी ली जाती है. उसके बाद रक्तदान करने वाले व्यक्ति का शुगर, बीपी, वजन और हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है। सबकुछ ठीक होने पर ही उसका खून लिया जाता है।

किस वर्ष कितने संक्रमित रक्त मिले, कितने समाप्त हो गये

वर्ष 2023 रक्त यूनिट

समाप्त- 22 यूनिटएचआईवी- 21 यूनिट

वीडीआरएल- 01 आधा खून ही आया, वही खून- 07

वर्ष 2024 रक्त यूनिट

समाप्त – 32 यूनिट एचआईवी – 20 यूनिट वीडीआरएल – 08 केवल आधा रक्त चढ़ाया – 07

वर्ष 2025 रक्त यूनिट

समाप्त – 16 यूनिट एचआईवी – 15 यूनिट वीडीआरएल – 08 केवल आधा रक्त चढ़ाया गया – 08

पूरे कोल्हान में चल रहे ब्लड बैंकों की जांच के लिए गठित टीम इस प्रकार है

पूर्वी सिंहभूम

एमजीएम ब्लड बैंक- ड्रग विभाग के सहायक निदेशक गौरव कुमार और एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आरके मंधान।

सदर अस्पताल- सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल, ड्रग इंस्पेक्टर अबरार आलम।

जमशेदपुर ब्लड बैंक- सिविल सर्जन द्वारा नामित चिकित्सा पदाधिकारी एवं औषधि निरीक्षक अबरार आलम.

पश्चिमी सिंहभूम

सदर अस्पताल ब्लड बैंक- सिविल सर्जन पश्चिमी सिंहभूम, सहायक निदेशक डॉ. राम चंद्र बेसरा, औषधि निरीक्षक सोनी बारा। रक्त आधान इकाई टिस्को अस्पताल नोआमुंडी और रक्त केंद्र किरीबुरू, जनरल अस्पताल, आरएमडी किरीबुरू – चिकित्सा अधिकारी, सहायक निदेशक डॉ राम चंद्र बेसरा सिविल सर्जन द्वारा नामित।

सरायकेला-Kharsawan

ब्लड सेंटर सदर अस्पताल- सिविल सर्जन सरायकेला-खरसावां, ड्रग इंस्पेक्टर सोनी बारा।

रक्त केंद्र ब्रह्मानंद नारायण अस्पताल और रक्त केंद्र नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज और अस्पताल – चिकित्सा अधिकारी, सहायक निदेशक गौरव कुमार सिविल सर्जन द्वारा नामित।

अस्वीकरण: यह लोकजनता अखबार का स्वचालित समाचार फ़ीड है. इसे लोकजनता.कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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