अरुण कुमार यादव/न्यूज़11भारत
गढ़वा/डेस्क: झारखंड सरकार ने गंभीर आरोपों के कारण गढ़वा जिले के मझिआंव अंचल अधिकारी प्रमोद कुमार के खिलाफ तत्काल प्रभाव से निलंबन की कार्रवाई की है. यह कदम सरकार की सख्त नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कार्यस्थल पर जनता के साथ दुर्व्यवहार, भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
मीडिया पैनलिस्ट सह झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय सदस्य धीरज दुबे ने भी इस प्रकरण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की छवि खराब करने वाले अधिकारियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही की नीति पर काम कर रही है, लेकिन कुछ अधिकारी अपने आचरण से जनता का भरोसा तोड़ रहे हैं. अब ऐसे सभी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. ज्ञापन क्रमांक के अनुसार. 03/प्रभार-11-49/2025-33602 (एचआरएमएस), दिनांक 03 नवंबर 2025, राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग, झारखंड, रांची द्वारा जारी प्रमोद कुमार, अंचल अधिकारी, मझिआंव (गढ़वा) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
आदेश के मुताबिक, उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए गए: कार्यालय में आने वाले लोगों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट, कार्यालय समय के दौरान शराब का सेवन, पैसे का लेनदेन और जन प्रतिनिधियों के साथ समन्वय की कमी. इन सभी आरोपों की जांच के बाद गढ़वा के उपायुक्त द्वारा निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा विभाग को भेजी गयी, जिसके बाद विभाग ने नियमों के तहत यह निर्णय लिया. निलंबन आदेश में स्पष्ट किया गया है कि प्रमोद कुमार को झारखंड सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2016 के नियम 9(1)(ए) के तहत निलंबित किया गया है. निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय, दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल, रांची निर्धारित किया गया है. साथ ही इस अवधि में उन्हें नियम 10 के तहत जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा। ज्ञापन की प्रति राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव, मुख्य सचिव, विभागीय सचिव, पलामू प्रमंडलीय आयुक्त, रांची प्रमंडलीय आयुक्त, गढ़वा के उपायुक्त समेत सभी संबंधित अधिकारियों को भेजी गयी है, ताकि आदेश का तत्काल अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके. इस कार्रवाई को लेकर प्रशासनिक हलके में हड़कंप मच गया है.
बताया जा रहा है कि प्रमोद कुमार पर लंबे समय से कार्यालय में अनुशासनहीनता और शराब पीने का आरोप लग रहा है. वहीं, उनके व्यवहार को लेकर जनता और जन प्रतिनिधियों की कई शिकायतें लगातार विभाग तक पहुंच रही थीं. झामुमो नेता धीरज दुबे ने कहा कि यह सरकार जनता की सरकार है, अधिकारी जनता के सेवक हैं, मालिक नहीं. उन्होंने चेतावनी दी कि अब यदि कोई भी अधिकारी आम जनता के साथ दुर्व्यवहार करेगा, भ्रष्टाचार करेगा या जनकल्याणकारी योजनाओं में बाधा डालेगा तो उसे अपना पद गंवाना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और कैबिनेट खुद जनता के बीच जाकर योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं. इसलिए अब किसी भी तरह की लापरवाही या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जनसेवा सरकार की प्राथमिकता है. इस पूरे प्रकरण से यह साफ हो गया है कि झारखंड सरकार अब जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है. गढ़वा जैसे सीमावर्ती जिले में जहां भ्रष्टाचार और लापरवाही के कई मामले सामने आते रहे हैं, वहां इस तरह की कार्रवाई से सरकारी कर्मचारियों को स्पष्ट संदेश गया है कि काम नहीं तो पद भी नहीं.
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