कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान के तहत मंगलवार को सेन्हा प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखंड सरकार के निर्देशानुसार आजादी का अमृत महोत्सव पर कुष्ठ रोग खोज अभियान के तहत यह प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षक महेश कुजूर ने बताया कि कुष्ठ रोग कोई लाइलाज बीमारी नहीं है. अगर समय पर इसकी पहचान हो जाए और मरीज को नियमित इलाज मिले तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति की त्वचा पर दाग पड़ना और उस दाग में सुन्नता आना कुष्ठ रोग का मुख्य लक्षण है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से जांच कराने और एमडीटी दवा का सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि समाज में फैले अंधविश्वास के कारण लोग कुष्ठ रोगियों के प्रति छुआछूत की भावना रखते हैं, जबकि यह गलत है. कुष्ठ रोग छुआछूत से नहीं फैलता। इसलिए समाज को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी है। प्रशिक्षण के दौरान सभी शिक्षकों को निर्देश दिया गया कि वे स्कूलों में विद्यार्थियों व अभिभावकों को कुष्ठ रोग की पहचान व इलाज के बारे में जागरूक करें. मौके पर कंचन कुमारी, सुमित्रा टोप्पो, फरजाना निशात, सुमति कुमारी, निशा महतो, प्यारी कुमारी, शारदा देवी, सुशीला लकड़ा, निखत नाज, गीता कुजूर, सुधा सिंह, कमला लकड़ा समेत कई शिक्षिकाएं मौजूद थीं.
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