खूंटी: खूंटी के कोर्ट मैदान में आज जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया. जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, केंद्रीय जनजातीय मंत्री जुवेल ओराम, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, पद्म भूषण से सम्मानित पूर्व सांसद कड़िया मुंडा, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, राष्ट्रीय जनजाति आयोग के अध्यक्ष समीर ओरांव, पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, पूर्व तोरपा विधायक कोचे मुंडा, पूर्व सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार, विनोद नाग, संजय मुंडा, जगरनाथ मुंडा और बीजेपी आदिवासी मौजूद रहे. मोर्चा पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।
जनजातीय गौरव दिवस पर सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें 15 नवंबर 2000 को पहली बार उलिहातू आने का मौका मिला. उन्होंने बताया कि उस समय उलिहातू जाने वाली सड़कें जर्जर थीं. आप यह खबर झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। पहले भगवान बिरसा मुंडा को सिर्फ खूंटी के लोग ही जानते थे. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित कर देशभर की जनजातियों को सम्मान देने का काम किया.
आजाद भारत में किसी भी सरकार ने जनजातियों को इतना सम्मान नहीं दिया. देश की आजादी में योगदान देने वाले, बलिदान देने वाले और शहीद होने वालों की पहचान कर उन्हें सम्मानित किया गया। पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस तरह उलिहातू पहुंचकर वहां की मिट्टी को अपने माथे पर लगाया वह बेहद गौरवपूर्ण क्षण बन गया. आज आदिवासी समुदाय से द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च पद पर राष्ट्रपति बनाकर आदिवासियों को सम्मान दिया गया।
बाबूलाल ने कहा कि पहले झारखंड के इलाकों में कच्ची सड़कें थीं. झारखंड की पहचान खराब सड़कों से जुड़ी थी, लेकिन इस देश में पहली अच्छी कंक्रीट सड़कें पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में बनीं और सड़कों का जाल मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान बिछाया गया. पहले गांवों में बिजली नहीं थी, आज हर गांव में बिजली बहाल हो गयी है. आदिम जनजातियों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खूंटी से पीएम जन मन योजना की शुरुआत की.
बाबूलाल मरांडी ने वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान झारखंड सरकार में सड़कों का टेंडर तो हुआ लेकिन सड़कें कब बनेंगी यह कहना मुश्किल है. हर गांव में जनजातीय गौरव दिवस मनाने की जरूरत है. विकास कार्य ठप हैं. वन अधिकार कानून तो बने लेकिन लोगों को वन पट्टा नहीं मिल रहा है. पीएम का सपना है कि 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बने. इसके लिए आदिवासी समुदाय और आदिवासी क्षेत्रों का विकास जरूरी है.



