बोकारो से जय सिन्हा
बोकारो: प्रशासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जनता की आवाज सुनना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है. ये बातें उपायुक्त अजय नाथ झा ने शुक्रवार को समाहरणालय सभाकक्ष में आयोजित साप्ताहिक जनता दरबार में कहीं.
उन्होंने कहा कि जनता दरबार शासन-प्रशासन और आम नागरिकों के बीच संवाद का सशक्त माध्यम है. आप यह खबर झारखंड लेटेस्ट न्यूज पर पढ़ रहे हैं। इससे न केवल लोगों की समस्याओं का सीधा समाधान होता है बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर जनता का विश्वास भी मजबूत होता है।
बुजुर्ग पिता की शिकायत ने छोड़ा भावनात्मक संदेश- समाज को सोचना होगा
जब एक बुजुर्ग पिता अपने बेटे और बहू के खिलाफ शिकायत लेकर जनता दरबार में पहुंचे तो वहां मौजूद अधिकारी दंग रह गए. इस पर उपायुक्त भावुक हो गये और कहा कि यह बहुत दुखद है कि एक पिता को अपने ही बेटे और बहू के खिलाफ शिकायत लेकर यहां आना पड़ रहा है. यह सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि सामाजिक चिंता का विषय है. इस दिशा में समाज को आत्ममंथन करने की जरूरत है। उन्होंने उपस्थित लोगों से पारिवारिक एवं सामाजिक मूल्यों को मजबूत बनाये रखने की अपील की ताकि बुजुर्गों को सम्मान एवं सुरक्षा का माहौल मिले. उनकी समस्या सुनने के बाद उन्होंने इस दिशा में कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.
कुल 57 मामलों की सुनवाई हुई – कई का मौके पर ही निष्पादन किया गया।
आज आयोजित जनता दरबार में कुल 57 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें भूमि विवाद, पेंशन, पारिवारिक विवाद, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, आवास, राशन कार्ड एवं जन सुविधाओं से संबंधित विषय प्रमुख थे. उपायुक्त ने सभी आवेदनों को गंभीरता से सुना और कई मामलों का मौके पर ही निपटारा किया गया. उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों को प्रत्येक आवेदन पर संवेदनशीलता एवं त्वरित कार्रवाई के साथ कार्य करने के निर्देश दिये, ताकि जनता को अनावश्यक चक्कर न लगाना पड़े।
सभी लंबित मामलों को एक पखवाड़े के अंदर पूरा करें
उपायुक्त ने निर्देश दिया कि प्राप्त सभी आवेदनों का निष्पादन प्रतिवेदन अधिकतम एक पखवाड़े के अंदर समर्पित किया जाये. उन्होंने कहा कि विभागीय स्तर पर लापरवाही या विलंब पाये जाने पर जवाबदेही तय की जायेगी. यह स्पष्ट किया गया कि जनता दरबार न केवल शिकायतें सुनने का बल्कि समाधान देने का भी माध्यम है और इसका उद्देश्य सरकार को जनता के करीब लाना है.
संवेदनशील प्रशासन सुशासन की नींव है
उपायुक्त अजय नाथ झा ने कहा कि सुशासन की पहली शर्त संवेदनशील प्रशासन है. उन्होंने अधिकारियों से सहानुभूति, ईमानदारी एवं पारदर्शिता के साथ जन समस्याओं का समाधान करने की अपेक्षा की। हर फरियादी को लगे कि प्रशासन उसके साथ है-यही हमारा लक्ष्य है।



