लखनऊ, लोकजनता: परिवहन निगम के अपने वाहनों के अलावा अनुबंध के आधार पर चल रही अनुबंधित बसों का व्यवहार भी अजीब है। इन बसों में सब कुछ जुगाड़ के दम पर ही संभव हो सकेगा। कई बसों की क्षतिग्रस्त खिड़कियां जाम हो गई हैं।
जर्जर स्थानों से आने वाली ठंडी हवाएं यात्रियों को असहज कर देती हैं। सर्दियों में यात्रियों के लिए इन बसों में बिना कंबल लपेटे सफर करना आसान नहीं होता है। आइए दिखाते हैं रोडवेज की अनुबंधित बसों का हाल।
दृश्य-एक- बाराबंकी डिपो की बस संख्या यूपी 41 बीसी 0141 का साइड मिरर तार से बंधा हुआ मिला। लखीमपुर जा रही बस संख्या यूपी 31 बीटी 1067 में साइड मिरर बोतल से बंधा मिला।
दृश्य-दो- कैसरबाग डिपो की बस संख्या यूपी 34 टी 9853 का मुख्य गेट टूटा हुआ मिला। दरवाजा खुला होने पर यात्री शीतलहर में कैसे बचेगा? सफर के दौरान यात्रियों को ठंड से कैसे राहत मिलेगी यह तो अधिकारी ही बता सकते हैं।
दृश्य-तीन- कैसरबाग डिपो की बस संख्या यूपी 33 एटी 5404 की बैक लाइट टूटी मिली। बस मोड़ते समय इंडिकेटर चालक को कैसे संकेत देगा और इससे कोहरे में दुर्घटना हो सकती है।
दृश्य-चार- कैसरबाग बस डिपो की बस संख्या यूपी 32 एसएन 8886 में सामने का शीशा टूटा मिला। बसों की खिड़कियां जाम मिलीं।
दृश्य-चार- सीतापुर डिपो की बस संख्या यूपी 34 टी 9063 में नंबर प्लेट के सामने लोहे की रॉड लगा दी गई है, जिससे न तो नंबर साफ दिखता है और न ही पहचान हो पाती है। नियमानुसार ऐसी बसों का संचालन नहीं किया जा सकता है। लेकिन जिम्मेदारों की नाक के नीचे ये बसें कैसरबाग बस स्टेशन से लोड होती पाई गईं।
-ठेकेदारों को चेतावनी के साथ नोटिस दिए जा रहे हैं। जर्जर बसों की तुरंत मरम्मत कराई जाएगी। इसके बाद ही इन्हें संचालन की अनुमति दी जाएगी।- आरके त्रिपाठी, क्षेत्रीय प्रबंधक, लखनऊ



