संभल 24 कोसी परिक्रमा: शंखनाद, भजन और जयकारे के बीच शुरू हुई यह परिक्रमा बेनीपुरचक स्थित श्रीवंशगोपाल तीर्थ से शुरू होकर भुवनेश्वर, क्षेमनाथ और चंदेश्वर तीर्थ होते हुए पुन: वंशगोपाल तीर्थ पर समाप्त होगी। परिक्रमा मार्ग पर स्थित 87 तीर्थों और 19 प्राचीन कुओं के दर्शन कर श्रद्धालु अपनी आस्था व्यक्त कर रहे हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस परिक्रमा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
1978 के बाद संभल की सूरत बदल गई
दशकों पहले दंगे, अवैध कब्जे और पलायन की घटनाओं ने संभल की पहचान को धूमिल कर दिया था। लेकिन 2017 के बाद योगी सरकार ने जिले के हालात बदलने के लिए कई ठोस कदम उठाए. प्रशासनिक सख्ती और न्यायिक कार्रवाई के बाद 68.94 हेक्टेयर जमीन अवैध कब्जे से मुक्त करायी गयी. धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण हटाने के तहत 37 स्थलों को मुक्त कराया गया, जिनमें कुछ मस्जिदें, कब्रें, कब्रिस्तान और मदरसे शामिल थे। इसके साथ ही 68 पौराणिक तीर्थ स्थलों और 19 कुओं के संरक्षण और सौंदर्यीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई।
रहा है। कल्कि अवतार मंदिर समेत कई प्राचीन स्थलों का जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है।
कानून व्यवस्था एवं विकास में निरंतर प्रगति
योगी सरकार के कार्यकाल में संभल में 2 नए थाने और 45 नई चौकियां स्थापित की गईं. संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी और ड्रोन निगरानी प्रणाली लागू की गई। अपराध नियंत्रण और बिजली चोरी पर सख्ती के कारण लाइन लॉस 82% से घटकर 18% हो गया है, जिससे लगभग 84 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
आर्थिक मोर्चे पर भी संभल ने लंबी छलांग लगाई
संभल ने भी आर्थिक मोर्चे पर लंबी छलांग लगाई है। 2405 करोड़ रुपये के निर्यात के साथ जिले ने प्रदेश में 10वां स्थान हासिल किया है। ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना के तहत यहां के धातु, लकड़ी और हस्तशिल्प उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पहचान बना रहे हैं।
सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर कदम
स्थानीय निवासियों का कहना है कि दशकों में पहली बार संभल में आस्था और सुरक्षा का संतुलित माहौल बना है। कभी दंगों और अविश्वास के साये में खोया हुआ यह शहर अब अपने आध्यात्मिक स्वरूप और सांस्कृतिक विरासत के साथ लौट रहा है। योगी सरकार के इन प्रयासों ने न सिर्फ एक पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया है, बल्कि संभल की ऐतिहासिक पहचान को भी नई चमक दी है. ‘भगवान कल्कि की नगरी’ अब सचमुच जगमगा उठी है।



