अयोध्या. श्री राम जन्मभूमि मंदिर पर फहराए जाने वाले दिव्य भगवा ध्वज को तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने राम राज्य की आदर्श परिकल्पना, समाज में भयमुक्त वातावरण के निर्माण और ‘राम सबके लिए, राम सबके लिए’ की भावना का जीवंत प्रतीक बताया है. उन्होंने कहा कि इस ध्वजारोहण का उद्देश्य परंपरा को कायम रखने के साथ-साथ देश को एकजुट करने वाली सनातन संस्कृति के विशाल स्वरूप को याद करना भी है.
चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में आयोजित होने वाले इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों में से लगभग तीन हजार केवल अयोध्या जिले से हैं, जबकि शेष अतिथि पूरे उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों से आमंत्रित किये गये हैं. पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत और भारतीय आस्था के वैश्विक प्रभाव का प्रतीक बनने जा रहा है.
श्री राम मंदिर का ध्वजारोहण धार्मिक आस्था के उत्सव के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक परंपरा, वंश गौरव और शाश्वत मूल्यों का एक अनूठा संगम है। इससे अयोध्या की धरती से पूरे देश में एक नई प्रेरणा फैलेगी। उन्होंने ध्वज पर अंकित प्रतीकों का अर्थ समझाते हुए कहा कि भगवा रंग ज्वाला, प्रकाश, त्याग और तपस्या का प्रतीक है। मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर के ऊपर 30 फीट का बाहरी ध्वजदंड स्थापित किया गया है, जिससे ध्वज कुल 191 फीट की ऊंचाई पर लहराएगा.
उन्होंने बताया कि भगवा ध्वज पर चित्रित सूर्य भगवान श्री राम के सूर्यवंश का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘ओम’ ईश्वर का प्रथम अक्षर है, जो चेतना और शाश्वत सत्य का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने झंडे पर अंकित कोविडर वृक्ष के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी. इस वृक्ष को अयोध्या के राजवंशीय प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है और इसका उल्लेख वाल्मिकी रामायण और हरिवंश पुराण दोनों में किया गया है।
जानकार लोग कहते हैं कि यह पारिजात और मंदार के संयोग से बना है। उन्होंने बताया कि मान्यता के अनुसार यह दुनिया का पहला हाइब्रिड पौधा था। परंपरा में वर्णित है कि इसी कोविडर वृक्ष पर चढ़कर लक्ष्मण ने भरत को अपनी सेना के साथ वन की ओर आते देखा था।



