लखनऊ/गढ़मुक्तेश्वर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गढ़मुक्तेश्वर में 30 अक्टूबर से 5 नवंबर तक लगने वाले वार्षिक कार्तिक पूर्णिमा मेले और अमरोहा के तिगरी मेले की तैयारियों का जायजा लिया.
सीएम योगी ने मेला स्थल का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद समीक्षा बैठक में कहा कि हर साल इस अवसर पर लगभग 40 से 45 लाख श्रद्धालु गंगा तट पर स्नान और दीपदान के लिए पहुंचते हैं, इसलिए सभी व्यवस्थाएं समय से और समन्वित होनी चाहिए, ताकि किसी को असुविधा न हो.
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है. इसके लिए गंगा घाटों पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की तैनाती, बचाव नौकाओं की व्यवस्था, सीसीटीवी निगरानी, ड्रोन कैमरे और हेल्पलाइन केंद्रों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. भीड़ प्रबंधन पर विशेष जोर देते हुए उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को अनुशासित रखने के लिए परामर्श सत्र आयोजित किये जाने चाहिए और किसी भी स्थिति में अव्यवस्था नहीं होनी चाहिए.
योगी ने कहा कि मेला क्षेत्र में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया जाए और गंगा तटों की साफ-सफाई, कूड़ा उठान तथा साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए। अस्थाई शौचालयों में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम लागू किया जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी प्रकार का प्रदूषण न हो।
उन्होंने बिजली, पेयजल, प्रकाश, स्वास्थ्य एवं परिवहन व्यवस्था को प्राथमिकता देते हुए कहा कि सभी विभाग समन्वय बनाकर कार्य करें ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेले को आस्था और संस्कृति का संगम बनायें। लोक कलाओं, रासलीला, कृष्णलीला तथा लोक गायन के कार्यक्रमों के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बनाना चाहिए। सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए आकर्षक होर्डिंग्स लगाए जाएं।
उन्होंने पशुपालन विभाग को निर्देश दिये कि पशु मेले के दौरान पर्याप्त मात्रा में हरा चारा एवं भूसा उपलब्ध रहना चाहिए। इस दौरान उन्होंने गंगा पूजन किया और सदर बाजार का दौरा किया. उन्होंने मेला क्षेत्र में बन रहे मोढ़ा स्टोर्स का भी निरीक्षण किया और उनकी गुणवत्ता की सराहना की.
उल्लेखनीय है कि गढ़मुक्तेश्वर का धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व अत्यंत प्राचीन है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर, अर्जुन और भगवान कृष्ण ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यहां गंगा में स्नान किया था। स्कंद पुराण में वर्णित यह तीर्थ मोक्ष प्रदान करने वाला तीर्थ माना जाता है।



