लखनऊ. लघु फिल्मों को अधिकांश कलाकारों के लिए सफलता की पहली सीढ़ी करार देते हुए बॉलीवुड अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने रविवार को कहा कि लघु फिल्में हमेशा एक ‘बड़ा संदेश’ देती हैं और वे उन लोगों को एक बड़ा मंच प्रदान करती हैं जो इस कला को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
हुमा ने ‘लखनऊ शॉर्ट फिल्म फेस्टविले’ में ‘घुसपतिया कौन’ को ‘बेस्ट स्क्रिप्ट क्रिटिक्स चॉइस अवॉर्ड’ प्रदान किया, जो लॉस एंजिल्स (यूएसए) में ‘इंडिपेंडेंट शॉर्ट अवॉर्ड’ के फाइनल में पहुंचने वाली एकमात्र भारतीय फिल्म बन गई। उन्होंने कहा कि ज्यादातर कलाकारों ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत लघु फिल्मों से की.
अभिनेत्री ने कहा, “लघु फिल्में उन लोगों को एक बड़ा मंच प्रदान करती हैं जो इस कला को आगे बढ़ाना चाहते हैं। यदि उनमें प्रतिभा है, तो वे लघु फिल्मों के माध्यम से जो कुछ भी व्यक्त करते हैं उसे गंभीरता से लिया जाता है। लघु फिल्में एक बड़ा संदेश भेजती हैं।” मानव-वन्यजीव संघर्ष पर आधारित लघु फिल्म ‘घुसपतिया कौन’ वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मिश्रा द्वारा लिखी गई है।
फिल्म का निर्माण समीर-नेही अग्रवाल ने किया है और निर्देशन धीरज भटनागर ने किया है। ‘घूसपतिया कौन’ के लेखक सुधीर मिश्रा ने बताया कि लॉस एंजिल्स में ‘इंडिपेंडेंट शॉट्स अवॉर्ड’ प्रतियोगिता में 25 देशों की फिल्मों की अंतिम सूची में इसने अपनी जगह बनाई.
यह प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र लघु फिल्म थी। उन्होंने बताया कि इस फिल्म को रविवार को ‘लखनऊ शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल’ में अभिनेत्री हुमा कुरेशी और अभिनेता सनी सिंह ने ‘बेस्ट स्क्रिप्ट क्रिटिक्स च्वाइस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया.
मिश्रा ने बताया कि फिल्म ‘घूसपतिया कौन’ गाजियाबाद कोर्ट में तेंदुए के घुसने के बाद हुए बवाल की सच्ची घटना से प्रेरित है. फिल्म में एक तेंदुए का किरदार है जो इंसानों की भाषा बोलता है. इसे एनिमेशन के जरिए पर्दे पर उतारा है मशहूर एनीमेशन एक्सपर्ट राजीव द्विवेदी ने.
फिल्म के लेखक सुधीर मिश्रा ने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में जिस तरह से विकास के नाम पर जंगलों को काटा जा रहा है और बफर जोन को नष्ट किया जा रहा है, उससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या गंभीर होती जा रही है. उन्होंने कहा कि यह संघर्ष इंसानों और जानवरों दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है और पूरे पर्यावरण तंत्र के लिए भी बड़ा खतरा पैदा कर रहा है।
मिश्रा ने कहा कि शहरों में बंदरों की समस्या का कारण जंगलों में फलदार वृक्षों की कमी और शहरों का विस्तार है। मिश्रा ने बताया कि इस फिल्म का पहला प्रीमियर इसी साल 10 अगस्त को हुआ था. दो दिवसीय ‘लखनऊ शॉर्ट फिल्म फेस्टविले’ में ‘थुनाई’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म, ‘गंगा पुत्र’ को सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फिल्म और समर जैन को फिल्म ‘दद्दू जिंदाबाद’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार दिया गया.



