रामपुर, अमृत विचार। चार दिवसीय छठ महोत्सव के तीसरे दिन व्रती महिलाएं घाटों और तालाबों पर पहुंचने लगी थीं. शाम को व्रती महिलाओं ने पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया.
मंदिरों के शीशों पर लटकते बांस, लहराती हुई लटकनें…मानो दिन भर भजन बजते रहते हों। दिवाली के बाद बिहार में धूमधाम से मनाया जाने वाला छठ माह का त्योहार नहाय खाय के साथ मनाया गया. जिसमें महिलाओं ने रविवार को खरना कर 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा. इसके बाद सोमवार की दोपहर से अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए महिलाओं व श्रद्धालुओं का तांता लग गया. छठ पूजा के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने घाटों पर खड़े होकर सूर्य देव की पूजा की. साथ ही डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. घरों से लेकर घाटों तक महिलाओं द्वारा पूजा की तैयारी काफी दिनों से चल रही थी.
महिलाएं सिर पर टोकरियां रखकर नंगे पैर चलीं
सोमवार दोपहर बाद से ही महिलाएं मंदिरों में पहुंचने लगीं। व्रती महिलाएं सिर पर टोकरी, नंगे पैर, बच्चों को लेकर छठी मैया के भजन गाते हुए चल रही थीं। शाम को घाटों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. देर रात तक घाटों पर भजन बजते रहे।
विशाल आतिशबाजी का प्रदर्शन
छठ मैया की पूजा के दौरान युवाओं ने मंदिर के आसपास और सड़क पर आकर आतिशबाजी की. सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात रहा। कई लोग बैंड-बाजा के साथ छठ पूजा करने आये थे. मंदिरों और घाटों को रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया था। घाटों को सजाने का काम कई दिनों से चल रहा था.



