कानपुर, लोकजनता। रोबोट स्वास्थ्य सेवा का भविष्य हैं क्योंकि वे पारंपरिक सर्जरी की तुलना में अधिक सटीकता, लचीलापन और नियंत्रण प्रदान करते हैं, जिससे जटिल प्रक्रियाओं को आसानी से पूरा किया जा सकता है। इसमें छोटे चीरे, कम खून की हानि, कम दर्द, कम समय तक अस्पताल में रहना और तेजी से ठीक होना शामिल है, जिससे मरीजों को बेहतर परिणाम मिलते हैं।
वहीं, टेली-रोबोटिक सर्जरी भी काफी कारगर साबित हो रही है, जिसके जरिए विदेश में बैठा डॉक्टर भी जटिल सर्जरी को कानपुर या आगरा में अंजाम दे सकता है। वहीं, भारतीय डॉक्टर विदेश में सर्जरी कर सकते हैं। यह जानकारी आगरा से आए डॉ. अंकुर बंसल ने दी।
डॉ. अंकुर ने बताया कि टेली-रोबोटिक सर्जरी की खासियत यह है कि जो लोग विदेश जाकर ऑपरेशन कराते हैं, इलाज के साथ-साथ उनका आने-जाने का खर्च भी बढ़ जाता है, लेकिन टेली-रोबोटिक सर्जरी के जरिए आने-जाने का खर्च बच जाएगा। वहीं, विदेश के मरीज जो सर्जरी कराना चाहते हैं, वे सर्जरी करा सकते हैं।
सभी मेडिकल कॉलेजों में यह सुविधा होना जरूरी है.
वहीं, एआई इनेबल्ड रोबोट का फायदा मरीजों को इस हद तक मिलेगा कि रोबोट केवल उसी नस को छोटा करेगा जिसे एआई इनेबल्ड रोबोट ठीक करना चाहता है। आसपास की सभी नसें सुरक्षित रहेंगी। केजीएमयू के डॉ. अवनीश कुमार ने कहा कि लोगों में यह गलत धारणा है कि रोबोटिक सर्जरी रोबोट द्वारा की जाती है, लेकिन यह गलत है।
सर्जरी एक प्रशिक्षित सर्जन द्वारा की जाती है, जो रोबोट को संचालित करता है। रोबोट की वजह से डॉक्टरों के हाथों में कंपन नहीं होता है. कैमरे के माध्यम से स्थिति सर्जन के नियंत्रण में रहती है। इससे सटीकता और गुणवत्ता बढ़ती है। बताया कि भविष्य में रोबोट का दायरा बढ़ेगा। वर्तमान समय में सर्जरी, ऑर्थो, नेत्र रोग, हृदय और मस्तिष्क रोगों में विभिन्न प्रकार के रोबोट का उपयोग किया जा रहा है।
50 फीसदी कैंसर मरीज ठीक हो रहे हैं
डॉ. हरित चतुर्वेदी ने कहा कि कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। इसके चलते कैंसर के इलाज की दर अब 50 फीसदी तक पहुंच गई है. जबकि पहले यह दर 20 से 25 फीसदी ही थी. इसकी खास बात यह है कि जागरूकता अभियान के जरिए बताए गए लक्षणों से संबंधित कोई भी समस्या हो तो नई तकनीक की मशीनों के कारण जांच में उसका पता लगाया जा सकेगा। इस वजह से कैंसर पहली या दूसरी स्टेज में ही पकड़ में आ जाता है। वहीं, कई स्तन कैंसर सर्जरी में स्तन को काटना भी नहीं पड़ता; बहुत गंभीर स्थिति में मरीज की जान बचाने के लिए इसे काटना पड़ता है।
डॉ. मुकुल खेतान ने लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे बताए। लैप्रोस्कोप नामक एक पतले, ट्यूब जैसे उपकरण की मदद से न्यूनतम इनवेसिव कीहोल सर्जरी करता है। इस तकनीक में पारंपरिक ओपन सर्जरी के बड़े चीरों के बजाय छोटे चीरे लगाकर शरीर के आंतरिक अंगों का इलाज किया जाता है। लेप्रोस्कोप में एक कैमरा और प्रकाश होता है, जो सर्जन को स्क्रीन पर अंगों को देखने और छोटे उपकरणों की मदद से ऑपरेशन करने की अनुमति देता है।
पित्ताशय की पथरी कैंसर का कारण बन सकती है
डॉ. एएस सेंगर ने बताया कि पित्ताशय में पथरी से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि लंबे समय तक पथरी रहने से होने वाली पुरानी सूजन आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकती है। हालाँकि, पित्ताशय की पथरी वाले अधिकांश लोगों में पित्ताशय का कैंसर विकसित नहीं होता है। संयोगवश या सर्जरी के बाद बड़ी पथरी का पता चलना संभव है। कई मामलों में, पित्ताशय के कैंसर का पता तब चलता है जब पथरी या अन्य समस्याओं के कारण पित्ताशय को हटाने के लिए सर्जरी (कोलेसिस्टेक्टोमी) की जाती है और बाद में इसकी बायोप्सी की जाती है।
वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. विकास शुक्ला ने कहा कि ऐसे सम्मेलनों से डॉक्टरों में सीखने की इच्छा बढ़ती है। कॉन्फ्रेंस में सीनियर्स से ट्रेनिंग लेने के बाद डॉक्टर उन तरीकों को मरीजों पर इस्तेमाल करते हैं, जिससे मरीज के ठीक होने की दर बढ़ जाती है। बताया कि सर्दी के मौसम में लोगों में स्ट्रोक की समस्या बढ़ जाती है, ऐसे में लोगों को बचाव जरूर करना चाहिए।



