मेजर ध्यानचंद स्टेडियम भी बरेली की शान है, जो हॉकी के जादूगर की याद दिलाता है। कैंट स्थित यह स्टेडियम भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) का प्रशिक्षण केंद्र है। यह स्टेडियम हॉकी और एथलेटिक्स सहित विभिन्न खेलों के प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। हाल के वर्षों में, सुधार किए गए हैं, जैसे सिंथेटिक ट्रैक का निर्माण।
स्टेडियम के केंद्रीय प्रभारी व एथलेटिक्स कोच संदीप मोहन चौधरी ने बताया कि स्टेडियम को जनवरी 2007 में 30 साल की लीज पर लिया गया था. इसे कैंटोनमेंट बोर्ड से लिया गया था. इसमें होती, एथलेटिक्स और सेपक तकरा खेल शामिल हैं। खिलाड़ियों के लिए छात्रावास की भी सुविधा है। यहां हर साल खिलाड़ियों का चयन किया जाता है। 10-18 वर्ष की आयु के खिलाड़ियों के लिए ट्रायल आयोजित किए जाते हैं। ट्रायल जनवरी और फरवरी में होते हैं। सहायक अभिषेक कुशवाह ने बताया कि यह स्टेडियम क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ के अंतर्गत आता है।
बॉबी कुमार सेपक टकरा के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं. दो महीने पहले ही उसे बिहार के पटना में पुलिस में नौकरी मिली थी. बिहार के जयवीर सिंह भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं. सेपक टकरा के कोच मीना ने बताया कि आवास योजना के कारण सेपक टकरा में 18 खिलाड़ी, 20 हॉकी खिलाड़ी और 17 एथलेटिक्स खिलाड़ी हैं.
डरबन में विश्व चैम्पियनशिप: पाँच स्वर्ण पदक और दो विश्व रिकॉर्ड
किसी भी सपने को पूरा करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती, बल्कि जुनून और जज्बा सबसे बड़े हथियार होते हैं। इस कहावत को सच साबित किया है बरेली शहर के 75 वर्षीय भगवान बंसल ने, जो उम्र के उस पड़ाव पर खड़े हैं जहां ज्यादातर लोग आराम और दवाइयों पर निर्भर हो जाते हैं, लेकिन भगवान बंसल बिल्कुल इसके विपरीत हैं। वह रोजाना वेट लिफ्टिंग और पावरलिफ्टिंग का अभ्यास करते हैं। अब तक उन्होंने बार-बार भारत को विश्व मंच पर गौरवान्वित किया है। भगवान बंसल ने दक्षिण अफ्रीका के डरबन में आयोजित विश्व पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में पांच स्वर्ण पदक जीतकर और दो विश्व रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रच दिया। 5 से 9 नवंबर तक दक्षिण अफ्रीका के डरबन में आयोजित वर्ल्ड पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भगवान बंसल ने एक बार फिर अनोखा प्रदर्शन किया।



