ठाकुरद्वारा, लोकजनता। दस साल पहले हुए चर्चित मां-बेटे हत्याकांड में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने तीन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने प्रत्येक आरोपी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. यह मामला संपत्ति विवाद को लेकर रची गई साजिश का नतीजा था. दोषियों ने मां-बेटे के शरीर पर तेजाब डालकर उनकी पहचान मिटाने की कोशिश की थी और शव को मथुरा के जंगल में फेंक दिया था.
उत्तराखंड के काशीपुर नगर के मोहल्ला लाहौरियान निवासी कृष्णचंद्र सैनी की पत्नी शकुंतला देवी अपने दत्तक पुत्र कलश उर्फ बॉबी के साथ रहती थीं। जून 2016 में दोनों अचानक लापता हो गए। काशीपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता अमरीश अग्रवाल ने 17 जून 2016 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और दोनों के लापता होने की जानकारी दी और मामले में संपत्ति विवाद की आशंका जताई। जांच के दौरान पुलिस ने थाना डिलारी क्षेत्र के गांव सौदासपुर निवासी प्रेम अवतार शर्मा, अजय शर्मा और थाना भगतपुर क्षेत्र के गांव रामपुर बलभद्र निवासी विक्रम उर्फ राजू यादव को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ में हत्या की पूरी साजिश का खुलासा हो गया.
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इस तरह रची गई थी साजिश
अजय शर्मा ने यह मकान शकुंतला देवी से 18 लाख रुपये में खरीदा था. उसने 13 लाख रुपये का चेक दे दिया, लेकिन बाद में चेक वापस ले लिया और बाकी रकम न देने की नियत से शकुंतला और उसके बेटे को मारने की योजना बनाई. इनमें किरायेदार विक्रम भी शामिल था. 25 जून 2016 को विक्रम शकुंतला और उसके बेटे को बालाजी दरबार ले जाने के बहाने पहले मुरादाबाद ले गया, जहां प्रेम अवतार, अजय शर्मा और विक्रम यादव दोनों को कार से मथुरा ले गए। रास्ते में दोनों को खाने में नशीला पदार्थ दिया और मथुरा के एक सुनसान जंगल में ले जाकर उनकी हत्या कर दी. उनकी पहचान मिटाने के लिए उनके शरीर पर तेजाब डाला गया और उनके शव को जंगल में फेंक दिया गया. पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर शव बरामद कर लिए थे.
करीब 10 साल तक चली मामले की सुनवाई के बाद मंगलवार को कोर्ट ने दोषियों को उम्रकैद और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी अधिवक्ता रतन सिंह कंबोज ने की।



