बरेली, लोकजनता। अगर किसी महिला के स्तन में गांठ है लेकिन दर्द नहीं हो रहा है और उसका आकार बदल रहा है तो तुरंत कैंसर विशेषज्ञ से सलाह लें। ये कैंसर हो सकता है. समय पर निदान और उपचार से मरीज कैंसर को हरा सकते हैं। कैंसर ही नहीं, जब शरीर में कोई भी बीमारी बढ़ने लगती है तो शरीर में इसके लक्षण दिखने लगते हैं, बस जरूरत है तो इन लक्षणों को समझने की और तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने की। ऐसा करने से बीमारी को हराया जा सकता है। ये सुझाव रोहिलखंड कैंसर इंस्टीट्यूट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रारब्ध सिंह ने दिए। बताया कि स्तन कैंसर होने के पीछे कई कारण होते हैं।
रोहिलखंड कैंसर इंस्टीट्यूट और लोकजनता के संयुक्त तत्वावधान में स्तन कैंसर जागरूकता माह के तहत तीन दिवसीय महिला कैंसर सुरक्षा अभियान के दूसरे दिन बुधवार को पद्मावती सीनियर सेकेंडरी स्कूल, बीएल इंटरनेशनल और फ्यूचर यूनिवर्सिटी में छात्राओं को स्तन कैंसर की पहचान और रोकथाम के बारे में जागरूक किया गया। पद्मावती सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में रोहिलखंड कैंसर इंस्टीट्यूट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रारब्ध सिंह ने विद्यार्थियों को बताया कि कैंसर अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि है। जो शरीर के किसी भी हिस्से में, किसी भी समय और किसी भी उम्र में हो सकता है। एक अंग से होने वाली यह वृद्धि शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है।
शरीर में ठीक न होने वाला घाव, शरीर के किसी खास हिस्से में लगातार दर्द रहना, तेजी से बढ़ती गांठ कैंसर का कारण हो सकती है। हाँ, हर गांठ कैंसर नहीं होती। कैंसर के लिए असंतुलित आहार, जीवनशैली और प्रदूषण जिम्मेदार हैं। रोकथाम और जागरूकता कैंसर को रोकने में कारगर है। इसके साथ ही अगर आपको मासिक धर्म में कोई भी बदलाव नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। उदाहरण के लिए, यदि मासिक धर्म 12 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाता है या यदि आप 30 साल की उम्र के बाद गर्भवती हो जाती हैं या यदि 55 साल की उम्र के बाद रजोनिवृत्ति होती है या यदि मासिक धर्म की अवधि 26 दिन से कम या 29 दिन से अधिक है, तो सतर्क रहें। इससे पहले स्कूल चेयरमैन पारुष अरोड़ा ने डॉ. प्रारब्ध का स्वागत किया। इस दौरान स्कूल समन्वयक वैशाली गौरी गुप्ता समेत 50 से अधिक छात्राएं मौजूद रहीं।
हर महिला एक सुपर महिला है, जागरूक रहें
कार्यक्रम का समापन करते हुए डॉ. प्रारब्ध ने एक अनुभव साझा करते हुए कहा कि हर महिला एक सुपर वुमेन होती है। जब एक महिला कैंसर से प्रभावित होती है तो पूरा परिवार बिखर जाता है, इसलिए हर महिला को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की जरूरत है। इससे स्वस्थ समाज का निर्माण होगा।



