लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने एक दशक से अधिक पुराने अलग-अलग मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप साबित होने के बाद चार अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है और तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में स्थायी कटौती का आदेश दिया है। समाज कल्याण विभाग के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत की गई है.
यहां जारी एक बयान के अनुसार, आरोपी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और उनसे गबन की गयी सरकारी राशि की वसूली करने का भी निर्देश दिया गया है. बयान के मुताबिक, बर्खास्त किये गये अधिकारियों में पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी मीना श्रीवास्तव (श्रावस्ती), करुणेश त्रिपाठी (मथुरा), संजय कुमार ब्यास (हापुड़) और राजेश कुमार (शाहजहांपुर) शामिल हैं.
बयान के अनुसार, श्रीवास्तव को लाभार्थियों के डेटा में हेरफेर और छात्रवृत्ति राशि के गबन का दोषी पाया गया, जबकि त्रिपाठी और ब्यास को करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति राशि को गैर-मान्यता प्राप्त निजी संस्थानों में स्थानांतरित करने का दोषी पाया गया।
कुमार ने कथित तौर पर लाभार्थियों के बैंक खातों में हेरफेर करके पेंशन राशि को अयोग्य व्यक्तियों को हस्तांतरित कर दिया। बयान के मुताबिक, सेवानिवृत्त अधिकारी श्रीभगवान (औरैया), विनोद शंकर तिवारी (मथुरा) और उमा शंकर शर्मा (मथुरा) की पेंशन में 10 से 50 प्रतिशत की स्थायी कटौती होगी.
साथ ही उनसे करोड़ों रुपये के नुकसान की वसूली की भी कार्रवाई की जायेगी. प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण ने कहा, ”मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी.” अधिक लंबित मामले जल्द ही फिर से खोले जाएंगे और आवश्यकता पड़ने पर रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।
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