लखनऊ, लोकजनता: बिहार की हार के बाद विपक्ष को यूपी को लेकर नए सिरे से रणनीति बनानी होगी. सपा मुखिया अखिलेश यादव अब पीडीए की परिभाषा बदल कर इसे व्यापक बना सकते हैं. यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक से आगे बढ़कर पूरे समाज को इसमें शामिल किया जा सकता है. वहीं मिशन 27 को लेकर सपा और कांग्रेस भी अपनी दोस्ती पर विचार कर सकती हैं.
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के बाद उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी की चिंता बढ़ गई है. ऐसे में वह यूपी में अपनी रणनीति बदल सकते हैं. क्योंकि बिहार में जिन मुद्दों और रणनीति पर महागठबंधन आधारित था, उसका असर यूपी में भी होने की आशंका गहरा गई है.
एसपी की बात करें तो 2012 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने वाली एसपी को 2017 और 2022 में बीजेपी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 2024 के लोकसभा चुनाव में एसपी ने 37 सीटें जीतकर बीजेपी को बड़ा झटका दिया था. अब साल 2027 में होने वाले विधान सभा चुनाव को जीतने की तैयारी की जा रही है.
स्वाभाविक है कि अब सपा प्रमुख का पूरा ध्यान उत्तर प्रदेश पर रहेगा। इसके तहत अखिलेश अपने पीडीए एजेंडे में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक की परिभाषा बदल कर समाज के सभी वर्गों को साधने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, बिहार के नतीजों का असर यूपी के माहौल पर न पड़े, इसके लिए आयोग की कार्यप्रणाली पर भी हमला बोलने की तैयारी है।
सपा और कांग्रेस साथ रहेंगे
बिहार के नतीजों का असर यूपी कांग्रेस पर भी पड़ने वाला है. यहां पार्टी के कई नेताओं का कद घट सकता है. ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा का गठबंधन बनाए रखना अब मजबूरी बन जाएगी. क्योंकि दोनों ही बिहार में खुद को मजबूत नहीं कर पाए.



