बाराबंकी, लोकजनता। शनिवार को देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागेंगे और सृष्टि का संचालन अपने हाथों में लेंगे। इस दिन मंदिरों के अलावा घरों में भी पूजा-अर्चना के साथ-साथ अगले दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाएगा. त्योहार के जरूरी सामानों की खरीदारी शुक्रवार को हुई।
हिंदू धर्म में कार्तिक माह का विशेष महत्व माना जाता है। इस पवित्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और पृथ्वी पर फिर से शुभता और मंगल की शुरुआत होती है।
इस साल देवउठनी एकादशी का त्योहार कल शनिवार को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 1 नवंबर को सुबह 9:11 बजे शुरू होगी और 2 नवंबर को शाम 7:31 बजे तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार 1 नवंबर को ही व्रत और पूजन किया जाएगा। व्रत खोलने का शुभ समय 2 नवंबर को दोपहर 1:11 बजे से दोपहर 3:23 बजे तक रहेगा. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
भक्तों ने भगवान को तुलसी, फूल, दीपक, धूप और मिठाई अर्पित की और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन पूजा और दान करने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास की समाप्ति के साथ ही विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और यज्ञ जैसे मांगलिक कार्यक्रम फिर से शुरू हो जाएंगे।


 
                                    


