बरेली, अमृत विचार। भारत के महारजिस्ट्रार और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण का पत्र मिलने के बाद जिला प्रशासन ने 2027 में शुरू होने वाली जनगणना के तहत प्रशासनिक इकाइयों में बदलाव समेत अन्य बिंदुओं पर तहसीलों, सामुदायिक विकास खंडों, कस्बों और गांवों की सूची तैयार करने का काम शुरू कर दिया है. जनगणना के पहले चरण में घरों की गिनती की जाएगी. जनगणना आयुक्त के मुताबिक ग्रामीण-शहरी फ्रेम तैयार करने के लिए शहरी इकाइयों के वैधानिक कस्बों की शहरी स्थिति (नागरिक स्थिति) 1 जनवरी 2026 की स्थिति के अनुसार मान्य होगी.
बरेली में जिलाधिकारी अविनाश सिंह के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी एवं वित्त संतोष कुमार सिंह जनगणना कार्य देख रहे हैं. एडीएम के निर्देश पर ही तहसीलों में काम हो रहा है। सभी उप जिलाधिकारियों को कार्य आवंटित कर दिया गया है। प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के स्तर पर यह माना गया है कि जनगणना 2011 के बाद प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में सैकड़ों बार बदलाव हुए होंगे. 2027 की जनगणना के लिए सीमाओं का परिसीमन होने तक और अधिक परिवर्तन हो सकते हैं। पहले जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन स्थगन के कारण नहीं हो पाई लेकिन प्रक्रिया जारी है. इसमें न सिर्फ आबाद गांवों को बल्कि वीरान हो चुके गांवों को भी गांवों की सूची में शामिल किया जाना है।
जनगणना 2027 के प्रारंभिक कार्य के रूप में सबसे महत्वपूर्ण कार्य सभी स्थानों को ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के रूप में निर्धारित करना है। इस दिशा में काम शुरू हो चुका है, जिसमें 13 अगस्त को जारी सर्कुलर 1 के मुताबिक, जनगणना 2011 से लेकर 31 दिसंबर 2025 तक अधिकार क्षेत्र में हुए सभी बदलावों को शामिल करते हुए गांवों, कस्बों और वार्डों की एक सूची तैयार की जाएगी। इसके बाद सभी गांवों में शहरों और बाहरी विकास क्षेत्रों में शहरी मानदंड लागू करके जनगणना कस्बों की पहचान की जानी है। इसमें नगर निगम, नगर पालिका, छावनी परिषद, नगर पंचायत को शहर के रूप में परिभाषित किया गया है. इसमें 1,00,000 या उससे अधिक आबादी वाले शहरों को शहर श्रेणी में रखा गया है.