लखनऊ, अमृत विचार। पश्चिमी यूपी में 23 दिन में 35.63 हजार मीट्रिक टन धान की सरकारी खरीद हो चुकी है. वहीं 1 सितंबर से शुरू हुए पंजीकरण अभियान में अब तक 1,37,166 किसान अपना पंजीकरण करा चुके हैं. सरकार ने इस सत्र में 60 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है और खरीद प्रक्रिया तेजी से चल रही है. उधर, एक नवंबर से पूर्वांचल के जिलों में धान खरीद की तैयारियां तेज हो गई हैं।
राज्य सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए 4000 क्रय केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य रखा था, जिसमें से 3790 केंद्र पहले ही सक्रिय हो चुके हैं. ये केंद्र किसानों के लिए धान बेचने का विश्वसनीय मंच बन गए हैं, जहां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की जा रही है। सरकार ने सामान्य धान के लिए 2369 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड ए धान के लिए 2389 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य निर्धारित किया है. साथ ही, किसानों को 48 घंटे के भीतर सीधे उनके आधार से जुड़े बैंक खातों में भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।
फिलहाल धान खरीद की प्रक्रिया पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चल रही है. के जिलों में जारी है. मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा, अलीगढ, झाँसी के साथ ही हरदोई, लखीमपुर खीरी और सीतापुर जिलों में खरीद शुरू हो गई है। खरीद केंद्रों पर किसानों की आमद हर दिन बढ़ती जा रही है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए धान खरीद अभियान 1 नवंबर से शुरू होगा। यह खरीद चित्रकूट, कानपुर, अयोध्या, गोरखपुर, देवीपाटन, बस्ती, आज़मगढ़, वाराणसी, मिर्ज़ापुर और प्रयागराज मंडल में होगी। इसके अलावा लखनऊ मंडल के लखनऊ, रायबरेली और उन्नाव जिलों में भी 1 नवंबर से खरीद शुरू हो जाएगी, जो 28 फरवरी 2026 तक चलेगी. सरकार ने निर्देश दिए हैं कि हर क्रय केंद्र पर किसानों को पूरी पारदर्शिता के साथ बारदाना, तौल व्यवस्था और भुगतान की सुविधा मिलनी चाहिए. क्रय केंद्र सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुले रहेंगे और 17 प्रतिशत तक नमी वाले धान की खरीद की जाएगी।
डबल इंजन सरकार में किसान हित सर्वोपरि
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभागीय समीक्षा में साफ कहा है कि धान खरीद प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता और समय से भुगतान के साथ संचालित की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों की हर उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। योगी सरकार की पारदर्शी नीतियों और डिजिटल पंजीकरण प्रणाली ने किसानों के आत्मविश्वास को मजबूत किया है। पश्चिम से पूरब तक सक्रिय क्रय केन्द्रों और समय पर भुगतान ने यह साबित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश अब कृषि पारदर्शिता और किसान सम्मान के नये मॉडल की ओर बढ़ रहा है।