नोएडा. गौतम बुद्ध नगर जिले की नोएडा स्थित एक अदालत ने 32 साल पुराने मनी ऑर्डर धोखाधड़ी मामले में एक सेवानिवृत्त उप-डाकपाल को एक लोक सेवक द्वारा धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के लिए तीन साल की कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसे अदा न करने पर उसे एक साल अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
यह आदेश 31 अक्टूबर को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम -1) मयंक त्रिपाठी द्वारा पारित किया गया था, जिन्होंने हापुड़ के पिलखुवा क्षेत्र के निवासी महेंद्र कुमार को तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत दोषी ठहराया था। अदालत ने राम शंकर पटनायक बनाम ओडिशा राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1988 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि गबन की गई रकम लौटाने से अपराध समाप्त नहीं हो जाता।
आदेश में कहा गया है, “एक बार आपराधिक विश्वासघात का अपराध साबित हो जाए, तो गबन की गई राशि या सौंपी गई संपत्ति की वापसी से अपराध समाप्त नहीं होता है। यदि अपराधी डिफ़ॉल्ट राशि वापस कर देता है तो अदालत सजा कम कर सकती है।” अभियोजन पक्ष के अनुसार, मामला 12 अक्टूबर 1993 का है, जब नोएडा के सेक्टर 15 के निवासी अरुण मिस्त्री ने बिहार के समस्तीपुर में अपने पिता मदन महतो को 1,500 रुपये का मनी ऑर्डर भेजा था। उस समय महेंद्र कुमार नोएडा के सेक्टर 19 स्थित एक डाकघर में सब-पोस्टमास्टर के पद पर तैनात थे।
यह आरोप लगाया गया कि कुमार ने 75 रुपये कमीशन के साथ 1,500 रुपये की राशि स्वीकार की, लेकिन इसे सरकारी खाते में जमा नहीं किया। इसके बदले उसने मैकेनिक को फर्जी रसीद जारी कर दी। जब प्राप्तकर्ता को पैसे नहीं मिले, तो मिस्त्री ने 3 जनवरी, 1994 को डाकघर अधीक्षक सुरेश चंद्र के पास शिकायत दर्ज कराई। आंतरिक जांच से पता चला कि 1,575 रुपये सरकारी खाते में जमा नहीं किए गए थे और रसीद भी नकली थी। इसके बाद अधीक्षक सुरेश चंद्र ने सेक्टर 20 पुलिस स्टेशन में कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
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