कानपुर. दिल्ली में लाल किले के पास हुई आतंकी घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने डॉक्टरों की आतंकी कंपनी को डी-कोड कर लिया है. डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी के बाद कानपुर हृदय रोग संस्थान के डॉ. आरिफ को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
डॉ. आरिफ अपने साथी डॉ. अभिषेक के साथ अशोकनगर के एक फ्लैट में रहते थे। पूछताछ में मिली जानकारी के मुताबिक फ्लैट मालिक कन्हैया लाल ने बताया कि चार माह पहले डॉ. अभिषेक ने उनसे 27 हजार रुपये मासिक किराये पर फ्लैट लिया था. एक माह पहले डॉ. आरिफ भी उसके साथ बगल के कमरे में रहने लगा। उनकी आईडी चेक करने के बाद ही उन्होंने उन्हें यहां रहने की इजाजत दी थी, जो जम्मू-कश्मीर के पते पर था.
यह भी बताया गया कि देर रात कुछ लोग डॉ. आरिफ के कमरे की तलाशी लेने आये थे, लेकिन उनके बेटे ने फोन पर बात करने के बाद ही डॉ. आरिफ के कमरे का ताला खोला था. वे एक घंटे तक कमरे में रहे और फिर चले गए, इस दौरान उन्होंने क्या किया, उसे नहीं पता. डॉ. अभिषेक ने सिर्फ इतना बताया कि उनके बगल वाले कमरे में डॉ. आरिफ रहते थे. वह क्या करता था, क्या बात करता था, उसे कुछ भी मालूम नहीं था।
उधर, जांच टीम जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग नाग स्थित डॉ. आरिफ के घर पहुंची और उनसे पूछताछ की. पूछताछ में बताया कि आरिफ चार भाई-बहन हैं और परिवार वहीं का मूल निवासी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली ब्लास्ट के सिलसिले में पूछताछ के लिए आरिफ को हिरासत में लिए जाने के बाद से उसका परिवार हैरान और सदमे में है. वे कह रहे हैं कि वे इससे पूरी तरह अंजान हैं.
यह भी पता चला कि आरिफ की दो महीने पहले ही सगाई हुई थी और जल्द ही उसकी शादी होने वाली थी. बताया जाता है कि उनके पिता जम्मू में पुलिस विभाग में कार्यरत हैं. आरिफ अपने परिवार वालों से बात करता था. जांच एजेंसियों को यह भी पता चला है कि डॉ. आरिफ ब्लास्ट लिंक से जुड़े डॉ. शाहीन और एक अन्य डॉक्टर के संपर्क में था। सूत्रों का कहना है कि तीन और डॉक्टर जांच एजेंसियों के रडार पर हैं।
डॉ. आरिफ का फोन और लैपटॉप जब्त कर उनसे जानकारी जुटाई जा रही है. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि दिल्ली आतंकी घटना में डॉ. आरिफ की क्या भूमिका है और उनके पास क्या जानकारी है. गहन पूछताछ की जा रही है. कानपुर के घने इलाकों से दस और लोगों को उठाया जा रहा है और उनसे पूछताछ की जा रही है. आतंकी घटनाओं से जुड़े पुराने रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं और यह भी पता लगाया जा रहा है कि जो लोग पहले आतंकी गतिविधियों में पकड़े गए थे वे कहां हैं.



