कानपुर, लोकजनता। दिल्ली ब्लास्ट का कनेक्शन कानपुर से सामने आने पर मंगलवार को पुलिस प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग में भी हड़कंप मच गया। संदिग्ध आतंकी गतिविधियों के आरोप में फरीदाबाद से गिरफ्तार किए गए डॉ. शाहीन शाहिद जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में प्रवक्ता के पद पर रह चुके हैं। इसकी जानकारी मिलने पर खुफिया एजेंसियों की संयुक्त टीम मंगलवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज पहुंची और नियुक्ति, सेवा और व्यक्तिगत विवरण से संबंधित सभी दस्तावेजों को खंगाला।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचे जांच अधिकारियों ने फार्माकोलॉजी विभाग के वर्तमान और पूर्व अधिकारियों और कर्मचारियों से गहन पूछताछ की और रिपोर्ट तैयार की। परिसर भी देखा। टीम ने यह पता लगाने की कोशिश की कि साल 2013 से पहले डॉ. शाहीन किसके संपर्क में ज्यादा थीं, उनकी गतिविधियां क्या थीं, वह किस तरह की बातें या चर्चाएं ज्यादा करती थीं, किस जगह पर ज्यादा समय बिताती थीं और किस दिन उन्हें आखिरी बार कॉलेज में देखा गया था।
इसके अलावा कॉलेज से अनुपस्थित रहने के बाद उन्होंने कॉलेज में किस अधिकारी, डॉक्टर या स्टाफ से बात की. वहीं, जांच अधिकारियों ने मेडिकल कॉलेज के कई पुराने रिकॉर्ड, बायोमेट्रिक अटेंडेंस रजिस्टर और स्टाफ फाइलों की भी गहनता से जांच की. कॉलेज स्टाफ से भी जानकारी ली गई है कि उस समय किसी तरह की कोई शिकायत या विवाद तो दर्ज नहीं हुआ था।
जांच के दौरान कॉलेज प्रशासन ने टीम का पूरा सहयोग किया और डॉ. शाहीन की फाइल में दर्ज लखनऊ के पते और पुराने पत्राचार की कॉपी जांच अधिकारियों को सौंपी। कॉलेज के अधिकारियों ने पूछताछ में बताया कि 2006 में कॉलेज में तैनाती के बाद 2009 में डॉ. शाहीन का तबादला कन्नौज कर दिया गया था. यहां छह महीने काम करने के बाद वह कानपुर लौट आईं और 2013 में अचानक लापता हो गईं. कई बार पत्राचार के बाद भी जब कोई जवाब नहीं मिला तो डॉ. शाहीन को साल 2021 में बर्खास्त कर दिया गया.
डॉ. शाहीन पिछले आठ साल से कहां और किसके संपर्क में थीं?
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा जांच टीम को दिए गए पत्र के मुताबिक, संदिग्ध आतंकी हमले में शामिल डॉ. शाहीन 2013 से लापता थीं और साल 2021 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था. वह आतंकी संगठन के संपर्क में कैसे आई और कानपुर में उसका और कौन करीबी था समेत कई बिंदुओं पर एजेंसियां जांच में जुटी हैं।
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