लखनऊ, अमृत विचार: छठ महापर्व सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था, भक्ति और संयम का प्रतीक है। यह त्योहार बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस त्योहार पर महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं और छठी मैया और सूर्य देव की पूजा करती हैं।
इस बार छठ पूजा का त्योहार 25 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है, इसका समापन 28 अक्टूबर को होगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और सप्तमी तिथि को समाप्त होता है।
पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है.
चार दिवसीय इस त्योहार में महिलाएं विशेष पूजा और अनुष्ठान करती हैं। छठ पर्व की शुरुआत पहले दिन नहाय-खाय से होती है, दूसरे दिन की पूजा को खरना कहा जाता है, जबकि तीसरे दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है, इस पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथे यानी आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। बताया जा रहा है कि महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए छठ का व्रत रखती हैं. हालाँकि, कई पुरुष अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी यह व्रत रखते हैं।
छठ पूजा के चार दिन
नहाय-खाय-25 अक्टूबर 2025, दिन 1:
इस बार छठ पूजा 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगी. इस दिन पूरे घर की सफाई की जाएगी और स्नान करने के बाद लोग व्रत का संकल्प लेंगे। इस दिन चने की दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जायेगा. अगले दिन खरना से व्रत शुरू हो जाएगा.
खरना- 26 अक्टूबर, दूसरा दिन:
दूसरे दिन को खरना कहा जाता है, इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखेंगी और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ के साथ खीर का प्रसाद बनाएंगी, इसके बाद सूर्य देव की पूजा की जाएगी, बाद में खीर का प्रसाद खाया जाएगा।
संध्या अर्घ्य – 27 अक्टूबर, तीसरा दिन:
इस पर्व पर तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाएगी. डूबते सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्य देव को एक विशेष प्रकार का प्रसाद अर्पित किया जाएगा। प्रसाद में ठेकुआ, मौसमी फल और अन्य प्रसाद शामिल होंगे.
उषा अर्घ्य- 28 अक्टूबर, चौथा दिन:
आखिरी दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके बाद कच्चा दूध और प्रसाद खाकर व्रत खोला जाता है।
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