लखनऊ, अमृत विचार। छठ पर्व के लिए गोमती नदी के घाट सज-धज कर तैयार हैं. नदी की सफाई के साथ-साथ दीवारों से लेकर सीढ़ियों तक पेंटिंग की गई है. घाट बिजली की रोशनी से भी जगमगा रहे हैं. महिलाएं व युवा देर शाम तक वेदियां बनाने में जुटे रहे।
अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने कहा कि गोमती तट की स्वच्छता और जल की शुद्धता मापी जा रही है। 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है. देर रात तक सारी तैयारियां हो जाएंगी. शनिवार को नहाय-खाय के साथ महापर्व की शुरुआत होगी.
छठ महापर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि सूर्य देव के माध्यम से ब्रह्मांडीय ऊर्जा का उत्सव है। ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल के अनुसार छठ पर्व पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में ऊर्जा, समृद्धि और संतान की सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
नहाय-खाय के पहले दिन शनिवार को व्रती स्नान कर शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करेंगे. दूसरे दिन खरना पर निर्जला व्रत रखेंगे और शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे. तीसरे दिन 27 अक्टूबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
सूर्यास्त का समय शाम 5:27 बजे होगा. चौथे दिन 28 अक्टूबर को सुबह 6:13 बजे उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाएगा. यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है और परिवार की सुख-समृद्धि और बच्चों की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. भगवान सूर्य को ठेकुआ, मालपुआ, फल, चावल के लड्डू और नारियल का भोग लगाया जाता है.
भक्तों की आस्था और अनुभव
मूल रूप से बिहार की रहने वाली रूपा गोस्वामी चिनहट में रहती हैं। उन्होंने बताया कि वह 15 साल से छठ मैया की पूजा करती आ रही हैं. बताया कि मेरी सास की इच्छा पूरी हो गयी, तब से हम हर साल यह व्रत करते आ रहे हैं. पटना की मूल निवासी पुष्पा दुबे ने बताया कि वह 8 वर्षों से लक्ष्मण तट पर छठ पूजा करती आ रही हैं. उन्होंने बताया कि यह त्योहार बेटी और बेटे दोनों की खुशहाली के लिए मनाया जाता है. यहां की व्यवस्था काफी बेहतर है. आज़मगढ़ की अंजू कारवार ने अपनी भावनात्मक पारिवारिक कहानी साझा की। इस मौके पर उन्होंने छठ मैया के भजन भी गाए.



