अयोध्या, लोकजनता: पवित्र नगरी अयोध्या में कार्तिक माह शुरू होते ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां कल्पवास करते हैं। एक महीने के कल्पवास के बाद कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर रामलला की जन्मस्थली की परिक्रमा और सरयू नदी में स्नान के साथ यह कल्पवास समाप्त होता है। ज्योतिषाचार्य करुणा निधान ने बताया कि हिंदी पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 4 नवंबर की रात 10:36 बजे से शुरू होगी और 5 नवंबर की शाम 6:48 बजे तक रहेगी.
इसलिए उदया तिथि के आधार पर कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को मनाई जाएगी. सरयू नदी में स्नान और दान करने का सबसे शुभ समय 4:52 से 5:44 तक है. बताया कि शाम को प्रदोष काल में पूजा का शुभ समय 5:15 से 7:05 बजे तक रहेगा। इस समय दीपदान भी किया जाता है।
महंत सत्येन्द्र दास वेदांती ने बताया कि हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा पर सरयू नदी में स्नान, दीपदान, दान, भगवान की पूजा, आरती, हवन आदि का बहुत महत्व है। इस दिन किसी भी धार्मिक कार्य का सौ गुना फल मिलता है। कहा कि पूर्णिमा का अर्थ है सभी प्रकार के व्रत और तपस्या का पूरा होना। इसीलिए श्रद्धालु पूरे कार्तिक भर अयोध्या में रहकर कल्पवास करते हैं। पूर्णिमा स्नान करने से सभी प्रकार के व्रत समाप्त हो जाते हैं।



