प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिषदीय शिक्षकों व शिक्षामित्रों के मानदेय में बढ़ोतरी संबंधी आदेश के अनुपालन को लेकर दाखिल अवमानना याचिका निस्तारित कर दी है। कोर्ट ने साफ किया कि सरकार की ओर से गठित कमेटी ने अपना काम पूरा कर लिया है और अब मामला कैबिनेट के विचाराधीन है. ऐसी स्थिति में न्यायालय की दृष्टि में अवमानना की कोई स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने वाराणसी के विवेकानन्द की अवमानना याचिका पर पारित किया। बता दें कि 12 जनवरी 2024 को जितेंद्र कुमार भारती बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य मामले में कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों के अनुपालन में राज्य सरकार ने उच्च अधिकारियों की एक कमेटी गठित की थी.
इस समिति को परिषद् कर्मचारियों के मानदेय को सम्मानजनक स्तर तक बढ़ाने के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रार्थना पत्रों पर विचार करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया। बाद में अनुपालन की समीक्षा के दौरान कोर्ट ने 18 सितंबर 2025 को राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव (बेसिक शिक्षा विभाग) से अनुपालन हलफनामा मांगा था.
इसके मुताबिक 27 अक्टूबर यानी पिछले सोमवार को जब मामले की दोबारा सुनवाई हुई तो सरकार की ओर से बताया गया कि समिति ने 21 अक्टूबर 2025 को अपनी बैठक में निर्णय लिया है कि मानदेय वृद्धि का सवाल केवल समिति स्तर पर नहीं सुलझाया जा सकता, क्योंकि इसके लिए राज्य कैबिनेट की मंजूरी जरूरी है. समिति ने इस आशय की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है.
इन तथ्यों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि चूंकि समिति ने निर्देशानुसार काम पूरा कर लिया है और मामला अब कैबिनेट के विचाराधीन है, इसलिए अवमानना अधिनियम की धारा 12 के तहत कोई कार्रवाई आवश्यक नहीं है. कोर्ट ने अवमानना याचिका खारिज करते हुए राज्य सरकार को कोर्ट के आदेश के मुताबिक समिति की सिफारिशों पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया.



