DU: राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने के मौके पर दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के रामजस कॉलेज में एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने की. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वंदे मातरम का हर शब्द मां को समर्पित है और मां कभी सांप्रदायिक नहीं हो सकती. उन्होंने छात्रों से पूरे दिल्ली विश्वविद्यालय परिवार के साथ मिलकर स्वदेशी प्रतिज्ञा लेने का सामूहिक आह्वान किया।
प्रधान ने कहा कि वंदे मातरम की रचना 150 साल पहले हुई थी. रचना के समय देश कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहा था और आम जनता में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था। इसके चलते वर्ष 1857 में देश के विभिन्न हिस्सों में विद्रोह की घटनाएं हुईं और लंबे संघर्ष के बाद देश की जनता को वर्ष 1947 में आजादी मिली। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये वंदे मातरम् भारतीयों के लिए कालजयी रचना है. जिस भावना के साथ वंदे मातरम् की रचना की गई वह वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है।
देश को सशक्त बनाने के लिए वंदे मातरम जरूरी है।’
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत को दुनिया में एक बार फिर से मजबूत करने के इरादे से ही वंदे मातरम गाने की जरूरत पड़ी. आजादी के लिए देश की जनता ने सामूहिक रूप से वंदे मातरम् गाया था। लेकिन अब लोग देश की समृद्धि और एकता के लिए वंदे मातरम गा रहे हैं. सरकार का स्पष्ट मानना है कि समृद्धि से ही देश विकसित भारत बन सकता है और दिल्ली विश्वविद्यालय इसमें प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि वंदे मातरम 150 साल का हो गया है और इस यात्रा को यादगार बनाने के लिए सरकार ने इसे राष्ट्रीय चेतना वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया है. आजादी के सफर में वंदे मातरम् का उद्घोष आम लोगों को प्रेरणा देता रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कालजयी गीत को भारत के लोगों के करीब लाने का काम किया है।
वंदे मातरम् राष्ट्र प्रेम और देशभक्ति का मंत्र रहा है। इस कार्यक्रम के दौरान रामजस कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर अजय अरोड़ा और वाइस प्रिंसिपल प्रोफेसर रुचिका वर्मा समेत कई कॉलेजों के प्रिंसिपल, डीयू के अधिकारी, शिक्षक और छात्र मौजूद रहे.



