डीयू: इस समय देश में संविधान को लेकर बहस तेज हो गई है. संविधान पर बहस के बीच शुक्रवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के कमला नेहरू कॉलेज में तीन दिवसीय वार्षिक युवा संवाद 2025 शुरू हुआ। इस वर्ष आयोजन का विषय ‘संविधान: भारत की आत्मा’ है। जिसके तहत युवाओं, शिक्षाविदों और विचारकों ने भारत के संवैधानिक मूल्यों और इसकी जीवंत भावना पर मंथन किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व न्यायाधीश एके गोयल ने कहा कि भारत का संविधान दुनिया के सबसे जीवंत संविधानों में से एक है, जिसमें न केवल शासन की संरचना बल्कि जीवन दर्शन भी समाहित है. युवाओं को संविधान के मूल्यों को अपने आचरण में शामिल करने का काम करना चाहिए। संविधान ही देश और समाज के विकास का सबसे बड़ा प्रतीक है और संवैधानिक मूल्यों का पालन करके ही देश को आगे बढ़ाने का काम किया जा सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत दक्षिण भारत के प्रसिद्ध पारंपरिक नृत्य से हुई, जिसमें भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता का प्रदर्शन हुआ. इसके बाद महाराष्ट्र के लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुति हुई.
देश का भविष्य युवा तय करेंगे
किसी भी देश के विकास में युवाओं का योगदान अहम होता है। विश्व में युवाओं की संख्या सबसे अधिक भारत में है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के विकास में युवाओं की भूमिका सबसे अहम है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कविंद्र तालियान ने कहा कि युवाओं को जैसी दिशा मिलेगी, देश की वैसी ही हालत होगी।
इस दौरान कैंपस क्रॉनिकल की वार्षिक पत्रिका “संविधान-द सोल ऑफ इंडिया” का विमोचन किया गया। इस दौरान कमला नेहरू कॉलेज की प्राचार्य डॉ. पवित्रा भारद्वाज ने कहा कि युवाओं को लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए संविधान को याद रखना चाहिए। संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं बल्कि हमारे देश की आत्मा है।
कॉलेज के डीन प्रोफेसर बलराम पाणि ने कहा कि विमर्श जैसा मंच युवाओं को विचारशील और जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा प्रदान करता है। विमर्श 2025 युवाओं के विचारों का संगम है जो भारत के भविष्य की दिशा तय करने में मदद करेगा।



