लखनऊ, लोकजनता: प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की लगातार कमी से मरीजों की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। कमी थम नहीं रही है क्योंकि सेवानिवृत्त डॉक्टरों की पुनर्नियुक्ति 65 से बढ़ाकर 70 वर्ष करने का प्रस्ताव फाइलों में अटका हुआ है। जबकि सरकार ने कई माह पहले स्वास्थ्य महानिदेशक से इस पर प्रस्ताव मांगा था, लेकिन अभी तक निर्णय नहीं हो सका है।
वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई है। इसके बाद रिटायर होने वाले लोगों की संख्या में कुछ कमी आई है, लेकिन 65 साल पूरे कर चुके री-एंप्लॉयमेंट के तहत काम करने वाले विशेषज्ञ रिटायर हो रहे हैं। उनके स्थान पर नये विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं की जा रही है, जिससे अस्पतालों में विशेषज्ञों की भारी कमी हो गयी है और यह बढ़ती जा रही है.
स्वास्थ्य विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की तर्ज पर डॉक्टरों की पुनर्नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु 70 वर्ष करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. सरकार ने इस पर जल्द रिपोर्ट मांगी थी, ताकि मरीजों को अनुभवी डॉक्टरों की सेवाओं का लाभ मिल सके. लेकिन प्रस्ताव को अब भी मंजूरी का इंतजार है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सेवानिवृत्त डॉक्टरों को 70 साल की उम्र तक दोबारा रोजगार का मौका दिया जाए तो सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञों की कमी काफी हद तक दूर हो सकती है.
शासन की ओर से मांगा गया प्रस्ताव निदेशालय ने भेज दिया है। प्रस्ताव में रिटायर होने वाले डॉक्टरों की ग्रेडवार स्थिति मांगी गई थी, किस साल कितने विशेषज्ञ डॉक्टर रिटायर होंगे, सारी जानकारी प्रस्ताव में उपलब्ध है.
डॉ. रतनपाल सिंह सुमन, स्वास्थ्य महानिदेशक, उत्तर प्रदेश।
इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. जल्द ही संभवत: आगामी सोमवार को फाइलें मंगवाकर अधिकारियों से चर्चा की जाएगी और जनहित में निर्णय लिया जाएगा।
-ब्रजेश पाठक, उपमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश।



