लखनऊ, लोकजनता: राजधानी लखनऊ में आग लगने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. पीजीआई और लोकबंधु अस्पताल में आग लगने की घटनाओं के बाद भी प्रशासन की नींद नहीं टूटी है। शहर में 800 से ज्यादा पंजीकृत निजी और सरकारी अस्पताल संचालित हैं, जहां रोजाना लाखों मरीज और तीमारदार आते हैं। लेकिन अग्निशमन विभाग के आंकड़े चौंकाने वाले हैं- इनमें से 70 प्रतिशत अस्पतालों के पास फायर एनओसी नहीं है। इसका मतलब यह है कि ज्यादातर जगहों पर मरीजों और तीमारदारों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक बार-बार नोटिस जारी करने के बावजूद अधिकांश अस्पतालों ने फायर सेफ्टी सिस्टम दुरुस्त नहीं किया। कई प्रबंधन तो नोटिस का जवाब देने की जरूरत भी नहीं समझते। कुछ स्थानों पर कार्रवाई तो शुरू होती है, लेकिन पूरी होने के बाद फाइलें रोक दी जाती हैं। अधिकांश छोटे-बड़े अस्पतालों में न तो स्वचालित फायर अलार्म सिस्टम है और न ही पर्याप्त अग्निशमन उपकरण। यहां तक कि कई स्थानों पर आपातकालीन निकास भी अवरुद्ध पाए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि फायर एनओसी का हर साल नवीनीकरण कराना अनिवार्य है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना आम हो गया है।
जब तक जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगी, ऐसे हादसे रुकने वाले नहीं हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि समय पर एनओसी नहीं लेने वाले अस्पतालों का लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए.
नोटिस तक सीमित है कार्रवाई
पीजीआई और लोकबंधु अस्पताल में आग लगने के बाद अग्निशमन विभाग ने शहर के अस्पतालों को नोटिस भेजा था, लेकिन न तो व्यवस्थाएं सुधरीं और न ही प्रशासन ने सख्ती दिखाई। दो अस्पतालों को सील करने के बाद विभाग की कार्रवाई ठंडी पड़ गयी.
पुरानी घटनाएँ:
15 जुलाई 2017: केजीएमयू में भीषण आग, छह लोगों की मौत.
9 अप्रैल 2020: केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में लगी आग.
19 दिसंबर 2021: ठाकुरगंज स्थित स्टार हॉस्पिटल में विस्फोट के बाद लगी आग.
6 जून 2022: लोहिया अस्पताल में आग, अफरा-तफरी.
19 सितंबर 2023: रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल की इमरजेंसी में लगी आग.
18 दिसंबर 2023: एसजीपीजीआई की ओटी में लगी आग, तीन की मौत।
2 जनवरी 2024: सिविल अस्पताल की पैथोलॉजी में लगी आग, सैंपल जलकर नष्ट।
3 नवंबर 2024: क्वीन मैरी हॉस्पिटल के बेसमेंट में लगी आग।
23 मार्च 2025: केजीएमयू के गांधी वार्ड और न्यूरोलॉजी विभाग के बीच लगी आग।



