लखनऊ, लोकजनता: 44.5 प्रतिशत माताएं समय पर उच्च स्तरीय अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण मर रही हैं। इसका कारण परिवहन बाधाएं हैं. वहीं जागरूकता की कमी के कारण 49 प्रतिशत माताएं अपनी जान गंवा रही हैं। इसका कारण समय पर निर्णय न ले पाना है। “थ्री डिले मॉडल” के तहत किए गए अध्ययन में इसकी पुष्टि की गई है। यह अध्ययन किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग (क्वीन मैरी हॉस्पिटल) की डॉ. सुजाता देव, डॉ. वंदना सोलंकी और डॉ. मानवी गर्ग द्वारा जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच किया गया था।
अध्ययन से पता चला कि प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु के अधिकांश मामले थ्री डिलेज़ मॉडल के पहले और दूसरे चरण से संबंधित हैं। इसका मतलब है समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में देरी और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँचने में बाधाएँ। इसे हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में आयोजित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ गायनेकोलॉजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स (FIGO) वर्ल्ड कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया था।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
•49 प्रतिशत मामलों में पहला बड़ा कारण जोखिम के लक्षणों की पहचान और निर्णय लेने में देरी है।
•44.5% मामलों में देर से रेफरल और परिवहन में कठिनाई।
• केवल 6.5 प्रतिशत मामलों में स्वास्थ्य सुविधा पर इलाज शुरू करने में देरी।
प्रत्यक्ष कारणों का विश्लेषण:
•18.6 प्रतिशत में प्रसवोत्तर रक्तस्राव और गर्भाशय टूटना।
•13.3 प्रतिशत को गर्भावस्था के दौरान दौरे पड़ते थे (एक्लम्पसिया)।
• 9.5 प्रतिशत असुरक्षित गर्भपात और अस्थानिक गर्भावस्था।
•8.1 प्रतिशत सेप्सिस
•7.1 प्रतिशत प्रीक्लेम्पसिया
•5.2 प्रतिशत गर्भावस्था संबंधी संक्रमण
•2.9 प्रतिशत गंभीर एनीमिया
•2.9 प्रतिशत मलेरिया, डेंगू, स्क्रब टाइफस जैसे संक्रमण
अप्रत्यक्ष कारणों में हृदय और यकृत संबंधी विकार प्रमुख थे।
थ्री डिले मॉडल क्या है?
यह एक विश्लेषणात्मक मॉडल है जिसे मातृ मृत्यु के कारणों को समझने और रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह तीन मुख्य देरी पर केंद्रित है।
पहली देरी: गर्भावस्था, प्रसव और नवजात शिशु की देखभाल के दौरान चिकित्सा सहायता लेने में देरी।
दूसरी देरी: स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने में देरी।
तीसरी देरी: गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्राप्त करने में देरी।



