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Tuesday, October 28, 2025
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पेट के कैंसर का इलाज करेगा उत्तराखंड का पिरुली, यह झाड़ीदार पौधा हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है।

लखनऊ, लोकजनता: लखनऊ विश्वविद्यालय और सीएसआईआर-सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार एक हिमालयी पौधे पर शोध किया है, जो कोलन कैंसर के इलाज में काफी कारगर साबित हुआ है। उत्तराखंड के पहाड़ों में पाए जाने वाले पिरुली (सारोकोका सालिग्ना) नामक पौधे के कैंसर रोधी गुणों पर एक अध्ययन किया गया है। कैंसर के इलाज के क्षेत्र में एक नई दिशा की खोज करते हुए वनस्पति विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. नेहा साहू की शोध टीम ने यह नई खोज की है।

शोध में पिरुली से दो प्रकार के यौगिकों की खोज की गई है जो कोलन कैंसर कोशिकाओं को तेजी से नष्ट करते हैं। यह शोध अमेरिकन केमिकल सोसायटी के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल एसीएस ओमेगा में प्रकाशित हुआ है। इस शोध से हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली कई औषधियों में वनस्पति विज्ञानियों की रुचि बढ़ गई है। पिरुली पर आंशिक रूप से पाकिस्तान और चीन में अध्ययन किया गया है, लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय का यह अध्ययन देश का पहला व्यापक शोध है जिसने वैज्ञानिक रूप से पिरुली की कैंसर-रोधी क्षमता को सिद्ध किया है।

इस तरह प्रयोगशाला में शोध किया गया

दो स्टेरायडल एल्कलॉइड, सार्कोरिन सी और सैलोनिन सी, को बायोएक्टिविटी-निर्देशित फ्रैक्शनेशन तकनीक का उपयोग करके पौधों के अर्क से अलग किया गया था। इन यौगिकों ने HT-29 नामक कोलन कैंसर कोशिकाओं पर अत्यधिक प्रभावी और चयनात्मक साइटोटॉक्सिसिटी (केवल कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की क्षमता) दिखाई, जबकि सामान्य कोशिकाएं सुरक्षित रहीं। ये दोनों यौगिक कैंसर की दवा सिस्प्लैटिन से अधिक प्रभावी पाए गए।

इन वैज्ञानिकों ने किया शोध

वनस्पति विज्ञान विभाग की डॉ. नेहा साहू के अलावा डॉ. अमित दुबे (चेन्नई) और डॉ. नितेश सिंह (एसजीटी यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम) ने कंप्यूटर आधारित वैज्ञानिक विश्लेषण किया। इसके अलावा सीएसआईआर-सीडीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. केआर आर्या, डॉ. दीपक दत्ता, डॉ. टी. नरेंद्र, डॉ. ब्रिजेश कुमार, डॉ. प्रज्ञा यादव, डॉ. प्रियांक चतुर्वेदी, संजीव मीना, डॉ. विजया शुक्ला और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार गया के डॉ. विकास कुमार रजक शामिल हैं।

कोलन कैंसर 5वां प्रमुख कैंसर

भारत में मुख्य रूप से 5 प्रकार के कैंसर पाए जाते हैं, जिनमें से कोलन कैंसर एक है। वर्तमान उपचार पद्धतियां गंभीर दुष्प्रभाव और दवा प्रतिरोध जैसी समस्याएं पैदा करती हैं। ऐसे में पौधों से प्राप्त प्राकृतिक यौगिकों की खोज, जो केवल कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते हैं और सामान्य कोशिकाओं को सुरक्षित रखते हैं, भविष्य के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

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