पद्माकर पांडे, लखनऊ, लोकजनता: हृदय रोग विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहे स्वास्थ्य विभाग ने स्टेमी केयर नेटवर्क शुरू कर पूरे प्रदेश में हृदय रोगियों के त्वरित इलाज की अनूठी व्यवस्था स्थापित की है। इस नेटवर्क में, टेली-ईसीजी तकनीक का उपयोग करके सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में संभावित दिल के दौरे के रोगियों को एसटी-एलिवेशन कार्डियक इन्फार्क्शन (एसटीईएमआई) से बचाना संभव हो गया है। इस प्रक्रिया के लिए सरकारी अस्पतालों में सेवारत डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। बढ़ती ठंड के साथ इसकी उपयोगिता बढ़ती जा रही है.
महानिदेशक प्रशिक्षण डॉ. पवन कुमार गंगवार अरुण का कहना है कि जिलों के कुछ डॉक्टरों को एसटी-एलिवेशन कार्डियक इंफार्क्शन (एसटीईएमआई) प्रशिक्षण में प्रशिक्षित किया जा रहा है, वे अपने जिलों में अन्य लोगों को प्रशिक्षण देते हैं, इस प्रशिक्षण में हृदय रोगी की पहचान के लिए लक्षणों के साथ-साथ किन स्थितियों में ईसीजी की आवश्यकता होती है, इसके बारे में बताया जाता है। साथ ही सभी को एक मोबाइल पर व्हाट्सएप ग्रुप नेटवर्क से जोड़ा जाता है। प्रदेश में अब तक 12 कार्डियक हब एवं स्पोक मॉडल लखनऊ, देवीपाटन, अयोध्या, वाराणसी, अलीगढ, मेरठ, कानपुर, प्रयागराज में बनाये जा चुके हैं, जिनसे प्रदेश के कुल 39 जिलों के सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से लेकर सभी जिला अस्पतालों एवं मण्डलीय अस्पतालों को जोड़ा जा चुका है। इन अस्पतालों की इमरजेंसी में सीने में दर्द से पीड़ित मरीजों की ईसीजी रिपोर्ट व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजनी होगी। ग्रुप से जुड़े सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थानों के हृदय रोग विशेषज्ञ तुरंत अपनी सलाह देते हैं। यदि कोई मरीज दिल के दौरे से पीड़ित है, तो उसे तुरंत टेनेक्टेप्लेस इंजेक्शन लगाने की सलाह दी जाती है, जिससे धमनियों में रक्त के थक्कों की रुकावट दूर हो जाती है और मरीज को हृदय की संभावित रूप से मृत धमनियों को ठीक करने के लिए लगभग 20 घंटे का समय मिलता है, इस दौरान मरीज किसी उच्च चिकित्सा संस्थान में एंजियोप्लास्टी और अन्य उपचार करवाकर ठीक हो सकता है।
इस तरह नेटवर्क STEMI यानी ST एलिवेशन काम करता है।
जैसे ही सीने में दर्द के लक्षण वाला कोई मरीज सीएचसी या जिला अस्पताल स्तर पर पहुंचे तो उसकी ईसीजी इस नेटवर्क के व्हाट्सएप ग्रुप पर भेज दी जाए। ग्रुप में शामिल मुख्य अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ उस ईसीजी को देखते हैं और आगे के इलाज की सलाह देते हैं। यदि रिपोर्ट से पता चलता है कि मरीज की हालत गंभीर है, यानी उसकी मुख्य तीन धमनियों में से कोई एक पूरी तरह से अवरुद्ध है, तो उसे तुरंत रक्त पतला करने वाली टेनेक्टेप्लेस इंजेक्शन लगाने की सलाह दी जाती है।
अमित कुमार घोष, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग, यूपी।-
हृदय रोगियों को सर्वोत्तम इलाज उपलब्ध कराने की पूरी व्यवस्था है, आपातकालीन स्थिति में हृदय रोगियों को विशेष इंजेक्शन के लिए बजट की व्यवस्था की गई है। STEMI केयर नेटवर्क ने राज्य के सुदूर इलाके में स्थित हार्ट अटैक के मरीज की जान बचाना संभव बना दिया है। पूरे प्रदेश में 18 हब एंड स्पोक मॉडल बनाए जाने हैं, जिसके बाद प्रदेश भर के मरीजों को सुविधा मिल सकेगी।
डॉ. भुवन चंद्र तिवारी, हृदय रोग विभाग के प्रमुख, डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान, लखनऊ एवं हब एंड स्पोक मॉडल-
इंजेक्शन देने के बाद जब मरीज स्थिर हो जाता है तो उसे संबंधित मुख्य अस्पताल में भेज दिया जाता है। इस सुविधा की खास बात यह है कि मरीज की जान बचाने वाला 20 से 25 हजार रुपये का इंजेक्शन सरकार मुफ्त दे रही है। अभी रोजाना 200-300 ईसीजी आ रही हैं, सर्दियों में संख्या बढ़ेगी, पिछले छह महीने में 150 से ज्यादा हार्ट अटैक के मरीजों को इंजेक्शन लगाए गए हैं और आगे का इलाज मुहैया कराया गया है।



