माओवादियों और नक्सली ताकतों का गढ़ रहे जमुही जिले में 2005 के विधानसभा चुनाव के दौरान पुलिस अधीक्षक की हत्या कर दी गई थी. 2010 में नरसंहार और लूटपाट की घटनाओं के कारण इस इलाके में कदम रखने से पहले भारी मन रखना पड़ता था। खुफिया नेटवर्क को अब भी आशंका है कि भीमानंद की पहाड़ियों से खदेड़े गये नक्सली वहीं छिपे हैं, जो संभवत: बिहार में उनका आखिरी गिरोह है. 2022-23 में आखिरी मुठभेड़ के बाद अब ये धरती लगभग नक्सलियों से मुक्त हो गई है. नक्सल प्रभावित मुख्यधारा में आये हैं. अब यह डर जमुई में नहीं दिख रहा है. दक्षिण बिहार में दबंग, बाहुबलियों और बड़े घरानों के बीच सियासी लड़ाई चुनाव को दिलचस्प बना रही है.



