मोकामा का नाम कभी बिहार की औद्योगिक विरासत में चमकता था. आजादी से पहले वहां एक भारत वैगन फैक्ट्री, एक सूती मिल, एक शराब फैक्ट्री और एक बाटा चमड़े की फैक्ट्री थी। आज सब चुप हैं. वैगन फैक्ट्री के पास दुकान चलाने वाले रामनाथ साहू कहते हैं, “मालगाड़ी के डिब्बे बनाने वाली यह फैक्ट्री करीब दस साल से बंद है. यहां 1200 से ज्यादा लोग काम करते थे, लेकिन अब सिर्फ खंडहर ही बचे हैं.” पास में खड़े युवा राम किशोर यादव कहते हैं, “अमित शाह फैक्ट्री के लिए जमीन नहीं मिलने की बात करते हैं, लेकिन इस फैक्ट्री की 50 एकड़ जमीन खाली पड़ी है. कोई इसे दोबारा शुरू क्यों नहीं कराता?”



