आपको बता दें कि इस अपील के बाद अंता की राजनीति में भूचाल आ गया है, क्योंकि धर्मगुरुओं की ओर से ऐसी अपील बहुत कम देखने को मिलती है. राजस्थान के चुनाव में धर्मगुरुओं की भागीदारी दिखना मुश्किल है. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इससे अंता के चुनावी समीकरणों पर असर पड़ेगा?



