सूत्रों के मुताबिक मोरपाल सुमन बीजेपी की पहली पसंद नहीं थे. वसुंधरा राजे इस सीट से कंवर लाल मीणा की पत्नी को टिकट दिलाना चाहती थीं, लेकिन भाई-भतीजावाद का आरोप लगने के डर से बात नहीं बन पाई. इसके बाद 2013 में इसी सीट से विधायक रहे प्रभुलाल सैनी के लिए लॉबिंग हुई, लेकिन पार्टी में सहमति नहीं बन पाई. आखिरकार राजे के करीबी माने जाने वाले स्थानीय नेता मोरपाल सुमन को मौका मिल ही गया.



