पटना. जनसुराज नेता प्रशांत किशोर ने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बाहुबलियों से नहीं बल्कि सभ्य उम्मीदवारों से डरती है, यही कारण है कि देश के गृह मंत्री अमित शाह और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उनकी पार्टी के उम्मीदवारों पर दबाव बना रहे हैं और उन्हें अपना चुनाव नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
किशोर कुमार ने आज यहां पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनकी पार्टी के एक-एक कर तीन उम्मीदवारों को अपना नाम वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के दानापुर विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार अखिलेश कुमार उर्फ मुटुर साह को नामांकन के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह से मिलवाया गया था. उन्हें बैठाया गया ताकि वह नामांकन के लिए न जा सकें.
उन्होंने कहा कि इतिहास में यह पहली बार होगा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद किसी देश का गृह मंत्री किसी विरोधी पार्टी के उम्मीदवार से मिले और उस पर दबाव डाले और उसे चुनाव में नामांकन करने से रोके. अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने एक तस्वीर भी दिखाई जिसमें श्री शाह और जनसुराज के घोषित उम्मीदवार अखिलेश कुमार एक-दूसरे से मिल रहे हैं.
किशोर कुमार ने इस मामले में यह भी कहा कि पहले अफवाह फैलाई गई थी कि दानापुर से जनसुराज के उम्मीदवार को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) उम्मीदवार ने अपहरण कर लिया है, लेकिन बाद में तस्वीरों से पता चला कि उन्हें गृह मंत्री ने बुलाया था. उन्होंने कहा कि इससे बीजेपी की चाल, चरित्र और चेहरा उजागर हो गया है.
जनसुराज के सूत्र ने बताया कि यह घटना बक्सर जिले के ब्रम्हपुर क्षेत्र से दूसरा नामांकन वापस लेने की है, जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मजबूत उम्मीदवार हुलास पांडे खड़े हैं. उन्होंने कहा कि जनसुराज ने इस क्षेत्र में पटना के जाने-माने नेत्र चिकित्सक सत्यप्रकाश तिवारी को मैदान में उतारा था, लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उनसे मिलने पहुंच गये.
उन पर दबाव डालकर नामांकन वापस लेने को मजबूर किया गया. उन्होंने कहा कि एनडीए खुद मजबूत उम्मीदवार खड़ा करती है और सभ्य उम्मीदवार को नामांकन वापस लेने पर मजबूर कर देती है. उन्होंने जनसुराज के घोषित प्रत्याशी सत्यप्रकाश तिवारी के साथ केंद्रीय मंत्री श्री प्रधान की तस्वीर भी दिखायी.
किशोर कुमार ने तीसरा उदाहरण गोपालगंज का दिया, जहां से जनसुराज के प्रस्तावित उम्मीदवार शहर के जाने-माने डॉक्टर शशि शेखर सिन्हा थे. उन्होंने कहा कि श्री सिन्हा कांग्रेस के पुराने नेता स्वर्गीय रघुनाथ पांडे के दामाद हैं और नामांकन से ठीक एक दिन पहले भाजपा के एक विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) ने उनसे मुलाकात की और उन्हें नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया. उन्होंने कहा कि सिर्फ तीन मामले नहीं हैं.
भाजपा नेताओं ने जनसुराज के कुल 14 प्रत्याशियों से नामांकन वापस लेने के लिए संपर्क किया. उन पर दबाव बनाने के लिए उन्हें लालच दिया गया, डराया गया और यहां तक कि विदेश में रह रहे उनके बच्चों ने भी उनसे संपर्क किया। उन्होंने कहा कि जिन 14 उम्मीदवारों से संपर्क किया गया था, उनमें से तीन को नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर करने में बीजेपी सफल रही, लेकिन बाकी 11 उनके जाल में नहीं फंसे.