नई दिल्ली, अमृत विचार। कल रात, दिल्ली में कई लोगों ने दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा से परे पटाखे जलाए, जिसके कारण मंगलवार सुबह आसमान में धुंध छाई रही, दृश्यता कम हो गई और हवा की गुणवत्ता ‘रेड जोन’ में रही।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) बुलेटिन के अनुसार, सुबह 11 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 359 था, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। सुबह आठ बजे यह 352, पांच बजे 346, छह बजे 347 और सात बजे 351 था. शून्य और 50 के बीच एक AQI को ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। कुल 38 निगरानी स्टेशनों में से 35 ‘रेड जोन’ में थे, जो ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता का संकेत देते हैं। सीपीसीबी के समीर ऐप के अनुसार, जो निगरानी केंद्रों का एक्यूआई डेटा प्रदान करता है, 31 निगरानी केंद्र ‘बहुत खराब’ श्रेणी में थे जबकि चार ‘गंभीर’ श्रेणी में थे। जहांगीरपुरी में AQI 409, वजीरपुर में 408, बवाना में 432 और बुराड़ी में 405 दर्ज किया गया.
पर्यावरणविद् भावरीन कंधारी ने कहा कि यह शहर के लिए एक चेतावनी है। उन्होंने कहा, “दिल्ली का लगभग हर निगरानी केंद्र अब रेड जोन में है और शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 को पार कर गया है…यह एक चेतावनी है।” उन्होंने कहा, “आज का धुआं न केवल आसमान को धुंधला कर रहा है बल्कि हमारे बच्चों के फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचा रहा है।” कंधारी ने कहा कि भारत में पहले से ही सभी संक्रामक रोगों के 70 प्रतिशत मामले श्वसन संक्रमण के कारण हैं। देश में क्रोनिक श्वसन रोगों की दर दुनिया में सबसे खराब है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर के अपने आदेश में दिवाली पर दिल्ली-एनसीआर में रात 8 बजे से 10 बजे के बीच हरित पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी थी। हालांकि, कई लोगों ने कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया और देर रात तक जश्न चलता रहा. सोमवार को राजधानी के 38 निगरानी केंद्रों में से 36 में प्रदूषण का स्तर ‘रेड जोन’ में दर्ज किया गया था। सोमवार को दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI 345 (बहुत खराब) था. मंगलवार और बुधवार को वायु गुणवत्ता और भी ‘गंभीर’ श्रेणी में जाने की आशंका है।