नई दिल्ली। रूस से तेल खरीदने के विरोध में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को लेकर चल रहे तनाव के बीच भारत और अमेरिका ने मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में 10 साल के लिए एक नए रक्षा ढांचे के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने हस्ताक्षर किए। पीएम मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के बाद यह समझौता आगे बढ़ा.
दोनों देशों की सेनाएं तकनीकी और रणनीतिक सहयोग को गहराएंगी
समझौते के तहत, दोनों देशों की सेनाएं तकनीकी और रणनीतिक सहयोग को गहरा करेंगी, जिससे भारत को महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकी तक पहुंच और एक नए रक्षा उद्योग के विकास का अवसर मिलेगा। इस बैठक से कुछ दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी व्यापक चर्चा की थी. उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय मुद्दों और वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की।
हमारी रक्षा साझेदारी में एक नए युग की शुरुआत होगी-राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस समझौते की जानकारी देते हुए लिखा, ‘कुआलालंपुर में मेरे अमेरिकी समकक्ष पीटर हेगसेथ के साथ मेरी अच्छी मुलाकात हुई. हमने 10 साल की ‘अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी की रूपरेखा’ पर हस्ताक्षर किए। यह हमारी पहले से ही मजबूत रक्षा साझेदारी में एक नए युग की शुरुआत करेगा।
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘यह रक्षा ढांचा भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के पूरे स्पेक्ट्रम को नीतिगत दिशा देगा। यह हमारे बढ़ते रणनीतिक अभिसरण का संकेत देता है और साझेदारी के एक नए दशक की शुरुआत करेगा। रक्षा हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ बनी रहेगी। स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए हमारी साझेदारी बहुत महत्वपूर्ण है।
हेगसेथ बोले- ‘भारत-अमेरिका के रक्षा संबंध कभी इतने मजबूत नहीं रहे’
उधर, अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने ट्विटर पर बताया कि उन्होंने भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. इस मुलाकात में दोनों ने 10 साल के लिए नए रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी और मजबूत होगी. यह समझौता क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देगा. दोनों देशों ने अपनी सूचना साझाकरण, समन्वय और तकनीकी सहयोग बढ़ाने का भी निर्णय लिया है।
हेगसेथ ने कहा कि भारत-अमेरिका रक्षा संबंध कभी इतने मजबूत नहीं रहे. वहीं, पेंटागन ने भी बयान जारी कर कहा कि इस डील के तहत भारत में घरेलू रक्षा उत्पादन, खासकर ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें GE एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के F-404 इंजन की डिलीवरी भी शामिल है.
‘मेक इन इंडिया’ और इंजन डिलीवरी पर चर्चा
बैठक में तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) के लिए बेहद अहम एफ404 इंजन की डिलीवरी में देरी का मुद्दा भी उठा. देरी के कारण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को भारतीय वायुसेना को समय पर विमानों की आपूर्ति करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
इस तरह से समझौते से मदद मिलेगी
- इससे भारत को अमेरिका से अत्याधुनिक हथियार, हेलीकॉप्टर, ड्रोन जैसी तकनीक मिलेगी.
- इंडो-पैसिफिक में चीन को जवाब देने के लिए भारत-अमेरिका साझेदारी मजबूत होगी.
- अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश और तेज डिलीवरी से फायदा होगा।
- हेलीकॉप्टर, विमान और अन्य हथियार भारत में बनाए जाएंगे, जिससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।
दोनों देशों के लिए फायदेमंद
- रक्षा उद्योग में भारत के लिए विकास और आत्मनिर्भरता।
- रक्षा सौदों में अमेरिकी आदेश और रणनीतिक साझेदारी।
- क्षेत्रीय सुरक्षा और सूचनाओं का आदान-प्रदान तेज होगा.
- चीन जैसे देशों के दबाव का सामूहिक जवाब दिया जाएगा.


 
                                    


