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Wednesday, November 12, 2025
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क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी आतंकियों का गढ़ बन गई है? दिल्ली ब्लास्ट के आरोपियों का कनेक्शन

मुस्लिम बहुल इलाके धौज में 76 एकड़ क्षेत्रफल में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी अचानक वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में आ गई है. तीन डॉक्टरों की आतंकी गतिविधियों के लगातार खुलासे और मंगलवार को सात डॉक्टरों समेत 13 लोगों की गिरफ्तारी के बाद अब यह संस्थान संदिग्ध गतिविधियों का केंद्र बनता दिख रहा है।

यह सच है कि इस विश्वविद्यालय का नाम कभी भी किसी देश विरोधी साजिश से नहीं जुड़ा, लेकिन एक साल से अधिक समय से यहां सेवाएं दे रहे एक महिला समेत तीन डॉक्टरों की गुप्त आतंकी योजनाओं में संलिप्तता उजागर हुई है, जो चिंताजनक है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर यूनिवर्सिटी प्रबंधन को उनकी गतिविधियों की भनक तक क्यों नहीं लगी? अगर प्रबंधकों को संदेह था तो समय रहते कदम क्यों नहीं उठाए गए?

तीन साल पहले डॉ. मुज्जमिल आया था, जो हाल ही में पकड़ा गया

हाल ही में 12 दिन पहले गिरफ्तार किए गए डॉ. मुज्जमिल तीन साल से ज्यादा समय से यहां काम कर रहे थे. यूनिवर्सिटी के एक हॉस्पिटल कर्मचारी ने बताया कि डॉ. शाहीन ने करीब दो साल पहले यहां ज्वाइन किया था. पुलिस के मुताबिक, डॉ. शाहीन पहले गणेश शंकर विद्यापीठ मेडिकल कॉलेज, कानपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं।

2013 में वह अचानक लापता हो गई और 2021 में कॉलेज ने उसे नौकरी से निकाल दिया. उसके लापता होने का मुख्य कारण संभवतः उसका आतंकवादी संगठनों से जुड़ाव था, जिसके बाद उसे अल-फलाह में नौकरी मिल गई। यह प्रशासन पर गंभीर आरोप है कि उन्होंने बिना पृष्ठभूमि जांचे डॉ. शाहीन की भर्ती कैसे कर ली? इसी तरह दिल्ली में बम धमाके में मारे गए डॉ. उमर भी इसी यूनिवर्सिटी में लेक्चर देते थे.

सात डॉक्टरों समेत 13 संदिग्ध हिरासत में

इन घटनाओं के अलावा, फरीदाबाद और दिल्ली पुलिस ने सोमवार को विश्वविद्यालय में छापेमारी के दौरान सात डॉक्टरों सहित 13 लोगों को हिरासत में लिया। इनमें से कुछ के व्हाट्सएप कॉल रिकॉर्ड डिलीट पाए गए, जिसके चलते सभी जांच के दायरे में आ गए हैं।

इससे यह साफ हो गया है कि संस्थान में आतंकी साजिशें रची जा रही थीं, लेकिन इसकी भनक न तो प्रबंधन को थी और न ही स्थानीय पुलिस को.

विश्वविद्यालय का संक्षिप्त इतिहास

मुस्लिम बहुल गांव धौज में 2006 में अल-फलाह मेडिकल कॉलेज के रूप में शुरू हुए इस संस्थान को 2015 में यूजीसी से विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित, यह परिसर 76 एकड़ में फैला हुआ है। यहां अल-फलाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के तहत 650 बिस्तरों वाला एक धर्मार्थ अस्पताल भी संचालित होता है।

वीसी और चिकित्सा अधीक्षक ने नहीं तोड़ी चुप्पी

विश्वविद्यालय की कुलपति भूपेन्द्र कौर हैं, जबकि चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जमील हैं। मुख्य गेट से वीसी से मिलने का संदेश भेजा गया, लेकिन सुरक्षा कर्मचारियों ने प्रवेश रोक दिया. फोन पर भी संपर्क नहीं हो सका. डॉ. जमील का मोबाइल बंद मिला।

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